Age Power

This “Age Power” section has been started to share your, our reader’s, views on “Harnessing Energy of Senior Citizens In Nation Building”. You may also find your write-up here. Write a piece in 500 to 700 words and send to us.

6+ nutrient groups make a balanced diet to have a healthy life for Senior Citizens

6 nutrient groups make a balanced diet to have a healthy life for Senior Citizens

For elderly people, it is extremely crucial to have a healthy as well as balanced diet. Various organs of the body are over-used and some of these start degenerating as age progresses. Hence, a balanced diet, to some extent, helps in preventing or slowing down process of erosion and maintaining a healthy life. At the […]

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उम्र से ही नहीं अनुभवों से भी मालामाल होते हैं बुजुर्ग

उम्र से ही नहीं अनुभवों से भी मालामाल होते हैं बुजुर्ग

अक्सर हाथ पकड़कर सहारा देने वाली ढलती उम्र में बच्चे कभी अंगुली पकड़कर चलना सिखाने वाले मां-बाप को ही बोझ समझने लगते है। जबकि वास्तविकता यह है कि भले शरीर से मां-बाप बूढ़े हो चुके हो किन्तु अनुभवों की सीख में तो मां-बाप साठ के पार भी मालामाल होते हैं। दांत में दर्द होने पर

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साठ की आयु…गरिमामय आयु

साठ की आयु...गरिमामय आयु

समय के अविरल प्रवाह में मनुष्य के सौ वर्ष जीने की कामना हमारे कृती पूर्वपुरुषों ने की है…सौ शरद, सौ वर्ष तक स्वस्थ रहकर अपनी आँखों से देखते,बोलते,अदीन होकर जीने की कामना| वेद कहते हैं… पश्येम शरद: शतम्जीवेम शरदः शतम्प्रब्रवाम: शरद: शतम्अदीना: स्याम शरद: शतम् शुक्ल यजुर्वेद 36/24 सहस्र चन्द्रदर्शन की शुभेच्छा भी हमारी परंपरा

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दूसरी पारी के रंग आनंद, अनुभव, और ज्ञान के संग

दूसरी पारी के रंग आनंद, अनुभव, और ज्ञान के संग

(बुजुर्ग उम्र की पहचान नहीं बल्कि आनंद, अनुभव और ज्ञान का स्तंभ है) भारत में प्रत्येक व्यक्ति के काम करने की सीमा उसकी ढलती उम्र के साथ जुडी है, ज्यादातर लोग 60 वर्ष में अपने कार्यस्थल से सेवामुक्त हो जाते है | भारत में केंद्र, राज्य, सरकारी, गैर सरकारी और निजी क्षेत्रों में और विभिन्न

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ज़िंदगी गुलजार है, गर साठ के पार है

ज़िंदगी गुलजार है, गर साठ के पार है

सच्चाई कड़वी होती है। यूँ तो है ये एक मुहावरा, लेकिन प्रचलन में भी बहुत है। ताने मारने और व्यंग में बहुत उपयोग होता है। इसको यदि सरल हिंदी में उदाहरण के रूप में समझाया जाये तो सच्चाई को बुढ़ापा मानिये और उसका स्वाद हम सबको पता है। बुढ़ापा अक्सर बीमारी का समानार्थक माना जाता

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