मैं कोई डॉक्टर नहीं हूं पर आज चर्चा करेंगे एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सम्बन्धित विषय पर। शरीर में अपने पांव पर भी उतना ही थ्यान रखने की आवश्यकता है जितना की हम अक्सर अपने दिल को या हार्ट को देते है। पांव लड़खड़ाएं, हम गिरे और हमारी हड्डी में फ्रेक्चर आने में देर नहीं लगती। और उसके बाद क्या क्या हो सकता है इससे आप सभी परिचित होंगे ही। आज हम बात करते है कि ऐसी स्थिती को आने ही न दे।
पैरो के लिए विशेष एक्सरसाइज पर ध्यान देना होगा। उन्हें जितना मजबूत हम रख सके उसी में हमारी भलाई है। बहुत कुछ नई हिदायतों को यहां नहीं बताया जा रहा हैं, हां एक बार पुनः सभी के समक्ष रख कर आशा करते है कि आप थोड़ी-बहुत ज्यादा सावधानियां रखेंगे।
सर्वप्रथम बात करते है अपने बाथरुम की। हमने कई लोगो के विषय में सुना होगा या परिवार में ही देखा होगा कि कैसे कोई बुजुर्ग व्यक्ति बाथरुम में स्लिप कर गए और उनका हिपजॉइंट फ्रेक्चर हो गया। बहुत दुख दाई स्थिति हो जाती हैं। दर्द तो बहुत होता ही है, साथ में लंबा सा प्लास्टर और फिर चार से छ सप्ताह बिस्तर पर पड़ा रहना। बड़ी आयु में हड्डियां कमजोर हो जाती है, इस कारण फ्रेक्चर को ठीक होने में समय ज्यादा लगता है। कई बुजुर्ग तो ऐसे बाथरुम में एक्सिडेंट के बाद वापस सही सही उठ ही नही सकते हैं।
बाथरुम के उपयोग के समय हमें बहुत संभाल कर अपनेआप को रखना है। पोटी के बगल में और नहाने के स्थान के बगल में सपोर्ट पाइप लगवाए। नहाते समय और उठते समय ये सपोर्ट पाइप बहुत उपयोगी होते है। नहाने के स्थान में एंटी-स्किड मेट लगाये जिससे गीली जमीन पर फिसलने का डर कम हो। अपनेआप को तौलिए से सुखा कर बाहर निकल कर कमरे में आराम से कुर्सी पर या बिस्तर पर बैठ कर ही कपड़े पहने। बाथरुम को जितना हो सके सुखा रखे और रौशनी भी पर्याप्त हो। दरवाजा अंदर से लॉक न करे और अगर हो सके तो एक कॉल बेल का भी इंतजाम करे।
बुजुर्ग जन को पैदल खूब चलना है। पैरो के लिए, और वैसे पूरे शरीर के अच्छे स्वास्थ्य के लिए, पैदल चलना सबसे उत्तम एक्सरसाइज है। ध्यान यह रखना है कि हम जिस जगह चल रहे हैं, सड़क हो, पार्क हो या और कहीं, वह ऊबड़ खाबड़ न हो, कोई गड्ढ़ा हो तो बचे। जरूरत हो तो एक वॉकिंग स्टीक साथ रखे। यह न विचार मन में लाए कि हमे चलते समय हाथ में स्टीक देख कर लोग क्या कहेंगे। आवश्यकता पड़ने पर एक सहायक रख ले, पकड़ कर साथ चलने के लिए। पर चलना तो जरूर है। मेरी एक नब्बे वर्ष से ज्यादा आयु की पडोसी है, जिनसे मैं बहुत प्रभावित हूं। मौसम अनुकूल होने पर, वो प्रतिदिन एक सहयोगी के साथ वॉक पर जाती हैं। प्रथम तल पर रहती है। सीढ़ियां उतर कर जाना और वॉक से लौटकर वापस अपने आवास मैं एक तल चढ़कर आना बहुत सराहनीय है। एक और महत्वपूर्ण बात, मोबाइल पर बात करते हुए कभी न चले। इससे ध्यान भटक जाता है और चलते चलते गिरने के चांस बढ़ जाते है। इनडोर्स जब हो, चाहे घर पर या अन्य जगह तो प्रयास यह रहना चाहिए कि आप दिवाल के नजदीक हो, या अन्य लोगो के बीच हो जिससे कि आवश्यकता पड़ने पर आप इनका सहारा लेकर अपने को गिरने से बचा सके।
सीढ़ियों का जब उपयोग करे तो ध्यान रखे की साइड रेलिंग का उपयोग निश्चित करना है। ऐसी लापरवाही कतई न करे की बात करते करते सीढ़ियो के बीचोंबीच चल रहे हैं। ये छोटी छोटी भूल भी बहुत नुकसान दे सकती है।
कई ऐसे मौके आ जाते है जब हम किसी काम के लिए स्टूल या कुर्सी या छोटी सीढ़ी के उपयोग में पूरी सावधानी नहीं रखते। हो सके तो ऐसे काम में लगे ही नहीं, और आवश्यक होने पर वह काम करना भी पड़े तो पूरी सावधानी रखे। कोई एक व्यक्ति साथ रख ले। बड़ी उम्र में नॉर्मल गिरना ही ठीक नहीं हैं और अगर हम स्टूल, कुर्सी वगैरह से गिरते है तो जमीन से ऊंचाई और बढ़ जाती है।
इस उम्र में पहुंच कर आप खूद इतने परिपक्व हो गए है कि कुछ ज्यादा सलाह देना उचित नहीं है। फिर भी एक बार पुनः आप सबके समक्ष इन सब बातों को रखने का एकमात्र उद्देश्य यहीं है कि हम ज्यादा से ज्यादा सावधानी रख सके। अपने पैरों पर विशेष ध्यान दे। पैदल खूब चले। एक्सरसाइज बराबर करते रहे। गिरना तो हमें बिल्कुल भी नहीं हैं।
लेखक
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