मैंने अपने कई लेखों में इस ओर ध्यान आकृष्ट किया है कि वरिष्ठ व्यक्ति, किसी न किसी गतिविधि में अपने आप को व्यस्त रखेंगे तो निश्चित उनका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। और जो स्वस्थ रहेंगे वो निश्चित खुद भी खुश रहेंगे और दूसरों को भी खुश रखेंगे। ऐसे बुजुर्गों का जीवन के प्रति दृष्टिकोण बहुत सकारात्मक होता है। खुशकिस्मत होते हैं वो व्यक्ति जो किसी भी पार्टी में जान ला देते हैं। सभी उपस्थित जन ऐसे जिंदा दिल इन्सान के जल्द फेन हो जाते हैं।
आप व्यस्त किन गतिविधियों में हों यह अपने मतानुसार आपको ही निश्चित करना होगा। अक्सर देखा जाता है कि डॉक्टर, वकील, कन्सलटेंट्स, व्यवसायी या अन्य कुछ विधा में लगे लोग रिटायरमेंट उसी समय लेते हैं जब उनका स्वास्थ्य कुछ ज्यादा ही कमजोरी दर्शाने लगता है। तो फिर रिटाइरीज भी यह क्यूं नहीं ठान लें कि हम कुछ न कुछ काम करते रहेंगे और अपने आप को फीट और प्रसन्न रखेंगे।
सुखमय बुढ़ापा केवल सही खाने और समय पर दवाइयां लेने से नहीं आता। यह व्यस्त रहने, मानसिक रूप से सक्रिय रहने और भावनात्मक रूप से संतुष्ट रहने से भी आता है। बुजुर्गों के लिए अच्छी सेहत और जीवन के प्रति प्रसन्नचित्त दृष्टिकोण बनाए रखने का सबसे कारगर तरीका है अपने आप को सार्थक गतिविधियों में व्यस्त रखना।
सक्रिय रहना क्यों ज़रूरी है
जैसे-जैसे हमारी आयु बढ़ती है, शारीरिक शक्ति कम होती जाती है, लेकिन मन और आत्मा में बढ़ने की अनंत संभावनाएं होती हैं। व्यस्त रहने से यह तात्पर्य नहीं है कि हम अपने कामों में जल्दबाजी करे। यह जीवन में शामिल होने के बारे में है – चाहे वह कोई शौक हो, कोई सामाजिक समूह हो, स्वयंसेवा हो या फिर कोई अंशकालिक नौकरी हो। नियमित रूप से व्यस्त रहने से बुजुर्गों को शारीरिक रूप से फिट, मानसिक रूप से तेज और भावनात्मक रूप से संतुलित रहने में सहयोग करती है।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए सक्रिय जीवनशैली के लाभ:
- बेहतर मानसिक स्वास्थ्य: नियमित गतिविधियां मस्तिष्क को उत्तेजित करती हैं, जिससे भूलने, अवसाद और चिंता जैसी स्थितियों का जोखिम कम होता है।
- शारीरिक स्वास्थ्य: बागवानी, पैदल चलना, ध्यान में बैठना, योगाभ्यास करना जैसी हल्की शारीरिक गतिविधियां भी गतिशीलता, संतुलन और हृदय स्वास्थ्य को अच्छा रखने में सहायता कर सकती हैं।
- भावनात्मक संतुष्टि: जिन चीजों का आप आनंद लेते हैं, उनमें शामिल होने से उद्देश्य, उपलब्धि और खुशी की भावना आती है। हो सकता है कि जब आप जीविकोपार्जन में व्यस्त रहें हों उन दिनों अपने कुछ शौक को मन में ही दबाकर रखना पड़ा हो, पर अब वो समय है जब आप अपने शौक पूरा करे जिससे आपको संतुष्टी मिले।
- सामाजिक संबंध: क्लबों में शामिल होना या सामुदायिक कार्यक्रमों में भाग लेना अकेलेपन को रोकने में मदद करता है और सामाजिक बंधन को मजबूत करता है। अपने स्कूल व कॉलेज के मित्र या अपने कार्यक्षेत्र में लगे सहकर्मियों से भी संपर्क बराबर बना के रखना लाभदायक होता है।
व्यस्त रहने के कुछ सुझाव:
- शौक अपनाएं
- समूहों या कक्षाओं में शामिल हों
- स्वयंसेवक
- जुड़े रहें
शौक अपनाएं: पेंटिंग, म्यूजिक, नृत्य, बुनाई, खाना बनाना, या पहेलियां सुलझाना – कुछ भी कार्य जो आपको खुशी देता है।
समूहों या कक्षाओं में शामिल हों: वरिष्ठ नागरिकों के लिए आज हर कॉलोनी, हाउसिंग सोसायटी में ग्रुप्स बने होते हैं, जिनकी गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभाई जा सकती है। इसी तरह अगर कहीं किसी विधा के लिए क्लासेज लगती हो तो आगे बढ़कर सम्मिलित होना चाहिए। ज्ञान अर्जित करना किसी भी उम्र में लाभदायक ही होता हैं।
स्वयंसेवक: किसी उद्देश्य के लिए ज्ञान या समय साझा करना अविश्वसनीय रूप से फायदेमंद हो सकता है। बहुत सी संस्थाएं, जिन्हें हम आम भाषा में एनजीओ कहते हैं, समाज के लिए अच्छा काम कर रही हैं। उन्हें धन एकत्र करने से ज्यादा कठिनाई अच्छे व विश्वासी स्वयंसेवको की उपलब्धता की होती हैं। हो सकता है आपको कहीं मन लायक कार्य करने का अवसर मिल जाए।
जुड़े रहें: परिवार और दोस्तों के साथ नियमित कॉल या मिलना-जुलना बहुत सहायक होता है।
सेवानिवृत्ति या रिटायर का मतलब जीवन से पीछे हटना नहीं है। वास्तव में, यह नई रुचियों को तलाशने, जुनून के साथ फिर से जुड़ने और दुनिया से जुड़े रहने का एक सुनहरा अवसर है। जो वरिष्ठ नागरिक खुद को आनंददायक और उद्देश्यपूर्ण गतिविधियों में व्यस्त रखते हैं, वे अक्सर बेहतर स्वास्थ और जीवन के प्रति बेहतर दृष्टिकोण का अनुभव करते हैं।
हमें अपने बुजुर्गों को सक्रिय रहने, जिज्ञासु बने रहने और सबसे महत्वपूर्ण बात – खुश रहने के लिए हर पल प्रोत्साहित करने का प्रयास करना चाहिए।
लेखक

लेखक नेवर से रिटायर्ड मिशन के प्रणेता है। इस ध्येय के बाबत वो इस वेबसाइट का भी संचालन करते है और उनके फेसबुक ग्रुप नेवर से रिटायर्ड फोरम के आज कोई सोलह सौ सदस्य बन चुके है।
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