वरिष्ठ व्यक्ति का साथी व्हाट्सएप

वरिष्ठ व्यक्ति का साथी व्हाट्सएप

व्हाट्सएप पर ही एक कहानी पढ़ी थी की एक दादी मां अकेली गांव में रहती थी। बहुत दिन हो गए थे परिवार से मिले जो की अलग अलग शहर में रहते थे। वह अपने सभी परिवार वालों को अपने पास एक रात बिताने के लिए बुलाती है। विचार आया कि बहुत दिन हो गए, सभी से खूब बातें करेंगे और पुरानी यादें ताजा हो जाएगी। निर्धारित दिन सभी परिवारजन एक के बाद एक आते गए। एक कारण तो यह था कि वह लोग भी दादी से मिले नहीं थे बहुत दिनों से और दूसरा रिस्पेक्ट भी देना था। आगे की कहानी दिलचस्प हो जाती है।

ज्यादातर परिवार के बुलाए हुए छोटे बड़े आ गये। आते ही दादी मां को आदरपुर्वक प्रणाम कर उनके कुशलक्षेम की जानकारी लेने लगे। इधर उधर की कुछ बाते करने के पश्चात अपने अपने मोबाइल फोन पर लग गए। सभी के पास स्मार्ट फोन थे। पहले तो अपने फोन के फिचर्स ही एक दूसरे से साझा करते रहे और उसके बाद कोई फेसबुक पर अपने स्टेटस देख रहे थे तो कोई इंस्टाग्राम पर तो कोई व्हाट्सएप पर। जिस उद्देश्य से दादी ने सबको बुलाया था वह तो धरा का धरा रह गया।

सच में देखे तो यही कहानी आज घर-घर में देखने को मिलती है। इस अकेलेपन को दूर करने के लिए वरिष्ठ जन भी इसी मोबाइल का अब सहारा लेने लगे हैं। इसमें सबसे सहज, इस टेक्नोलॉजी के युग को देखें तो, व्हाट्सएप नंबर वन पर है। और भी सोशल मीडिया के प्लेटफार्म है, जैसे की फेसबुक, यूट्यूब, टेलीग्राम, इंस्टाग्राम, वगैरह लेकिन सबसे ज्यादा प्रचलित बड़ों के लिए व्हाट्सएप ही है। कारण इसका उपयोग करना बहुत आसान है। इससे बात भी कर सकते और वो भी एक दूसरे को देखते हुए, वीडियो काॅल के द्वारा। ग्रुप काॅल की भी सुविधा है।

एक उम्र आने पर सबसे ज्यादा किसी को कोई आवश्यकता पड़ती है तो वह है उनसे कोई बात करने वाला उनके पास हो। सभी के पास परिवार साथ हो यह सौभाग्य नहीं मिलता। किसी के बच्चे अपनी जीविकोपार्जन के कारण, तो कुछ के रिश्ते में कड़वाहट आने के कारण और कुछ के तो दुर्भाग्यवश कोई होता ही नहीं – ऐसे मे अकेले अपना जीवन चलाना ही पड़ता है। वरिष्ठ व्यक्ति, खास कर वो जो अकेले रहते है, उनका सबसे प्रिय मित्र आज कोई है तो वो निश्चित उनका मोबाइल और उसमे व्हाट्सएप है।

हां, बड़े-बुजूर्ग को मोबाइल पर ऑनलाइन हो रहे फ्राॅड से बच के रहना चाहिए। जहां बहुत से युवा भी इस तरह के फ्राॅड के शिकार हो रहें है, वहां वरिष्ठ जन को तो विषेश सावधानी रखनी ही होगी।

नेवर से रिटायर्ड द्वारा किए एक सर्वे से पता चला कि व्हाट्सएप के बाद अगर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर किसी का नंबर आता है तो वह है फेसबुक।

इस उम्र में हमारा मोबाइल फोन तो बहुत कुछ कर सकता है। बहुत से ऐसे फीचर्स भी है इसमें, जो कि आज के युवा भी शायद पूरी तरह नहीं समझ सकते हैं या उपयोग नहीं करते हैं। इस परिस्थिति में अगर वरिष्ठ जन केवल व्हाट्सएप उपयोग करें तो कोई ताज्जुब नहीं है। व्हाट्सएप पर इतनी सामग्री आने लगी है कि कई बार तो लगता है की इतना देखने का समय भी कैसे किसी को मिल सकता है। ग्रुप भी बहुत बन जाते हैं – पारिवारिक ग्रुप, दोस्तों का ग्रुप, कुछ विशेष धार्मिक या एंटरटेनमेंट या राजनीतिक ग्रुप, और सभी ग्रुप में अलग-अलग तरह के मैसेज आते हैं। हालांकि, बहुत ग्रुप में केवल ग्रीटिंग के ही मैसेज जब आने लगते हैं तो काफी झुंझलाहट ही होती है।

आजकल बहुत सी वीडियो ऐसी बनने लगे है जो कि वरिष्ठ व्यक्तियो को ध्यान में रखकर ही बनाई गई है। बड़े उम्र के लोग को नृत्य करते हुए या गाना गाते हुए दिखाना, या वृद्ध जन के लिए विशेष योग व एक्सरसाइज वाली वीडियोज बहुत प्रचलन मे है। और यह सब हम देखते व्हाट्सएप पर है।

मै जिस सर्वे कि बात कर रहा था, उसमे कुछ दिलचस्प तथ्य सामने आए। व्हाट्सएप पर तो सभी थे ही और वो आधे घंटे से चार घंटे तक इसका उपयोग करते है। वो मैसेज पढ़ते है और अपने इच्छानुसार आगे भी पोस्ट करते है। सर्वे किए गए व्यक्तियो में काफी कम ऐसे थे जो अपना कुछ नया लिखते है। ऐसे मे मन मे एक बात आती है कि हम अपनी क्रिएटिविटी को तो खत्म ही कर दिए है। दूसरो का बनाया मैसेज हम पढ़ते है और जो पसंद आया उसे आगे फॉरवर्ड कर दिया। क्या हम इस ट्रेंड को बदल सकेंगे?

सर्वे में एक सवाल पूछा गया था कि व्हाट्सएप पर किस तरह के मैसेज पसंद किए जाते है। तीन ऑप्शन दिए गए थे – मनोरंजक, धार्मिक या राजनीतिक मैसेज। ज्यादातर लोग तो सभी तरह के मैसेज पसंद करते है पर मनोरंजक मैसेज इनमे से सबसे ज्यादा पसंद किए जाते है।

बहुत से ऐसे ग्रुप भी हैं जो बहुत सकारात्मक जानकारी देते है। एक सुझाव मेरी ओर से।

  • मित्रों/रिश्तेदारों का एक समूह बनाएं, जो सभी वरिष्ठ नागरिक हों। हालांकि, उन सभी को अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए आस-पास रहना चाहिए।
  • हर सुबह ग्रुप का प्रत्येक सदस्य अनिवार्य रूप से एक स्वागत संदेश पोस्ट करेगा – गुड मॉर्निंग या राम राम या जो भी हो। यह अभ्यास ग्रुप सदस्य की उपस्थित को चिह्नित करने के लिए है, या यूं कहें एटेन्डेंस लगाना।
  • मान लीजिए, एक सुबह किसी व्यक्ति ने कोई संदेश पोस्ट नहीं किया है, तो उस व्यक्ति की कुशलक्षेम के बारे में जानने के लिए फोन या उनके घर जाकर तत्काल संपर्क स्थापित किया जाना चाहिए। हो सकता है वो किसी मुसीबत मे हो। आजकल बहुत से लोग अकेले रह रहे हैं, उनमे यह प्रयास बहुत उपयोगी होगा।

इस आइडिया को नेवर से रिटायर्ड की वेबसाइट पर कोई दो वर्ष पहले पोस्ट किया गया था। उस समय बहुत से पाठक ऐसा ग्रुप बनाए थे। वेबसाइट पर इसे और इसी तरह के अन्य आइडिया पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करे
https://neversayretired.in/let-us-do-it/

लेखक

Vijay Maroo
विजय मारू

लेखक नेवर से रिटायर्ड मिशन के प्रणेता है। इस ध्येय के बाबत वो इस वेबसाइट का भी संचालन करते है और उनके फेसबुक ग्रुप नेवर से रिटायर्ड फोरम के आज कोई सोलह सौ सदस्य बन चुके है।

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