बहुत से पाठक यह सवाल पूछते हैं कि आपके लेखो में आज क्या परिस्थितियों से बुजुर्ग गुजरते हैं उसके विषय में तो बहुत जानकारी रहती है लेकिन हम क्या कर सकते हैं अपने आप को खुश रखने के लिए और स्वस्थ रखने के लिए, हमारी एक्टिविटी क्या होनी चाहिए उस पर भी कुछ सुझाव दें। आज मैं अपने इस लेख में इसी विषय पर चर्चा करूंगा। कुछ सुझाव जो मैंने एकत्र किये है वह आपसे साझा कर रहा हूं।
एक पहल जिसकी चर्चा मैंने पहले भी एक लेख में की है वह है रांची के माहेश्वरी समाज की। इन्होंने 3 वर्ष पहले चौपाल नाम से एक एक्टिविटी शुरू की और इसमें 60 वर्ष के ऊपर की उम्र के अपने सदस्यों को जोड़ा। महिने के अंतिम रविवार को सभी मिलते हैं। आपस में गीत प्रतियोगिता या किसी विषय पर सभी से आग्रहपूर्वक कुछ कहलवाना या किसी मंदिर या पिकनिक स्पॉट पर जाने का कार्यक्रम बना लेते हैं। समाज में लुप्त हो रही पुरानी परंपराओं को वापस लोग अपनाएं इस का भी प्रयास चौपाल के द्वारा किया जाता है। रांची की इस पहल से प्रोत्साहित होकर कुछ अन्य शहरों में भी ऐसी पहल आरंभ हो गई हैं या होने वाली है।
अहमदाबाद की एक संस्था ने वरिष्ठ जनों में जो गायक है उनके लिए एक मंच उपलब्ध कराया है। वहां म्यूजिशियन रहते हैं और आप आकर अपना हुनर दिखा सकते हैं। कुछ जगह नृत्य प्रतियोगिता भी चल रही है। इतना अच्छा लगता है देखने में कि 75 – 80 वर्ष के लोग भी नृत्य कर रहे हैं और खुश होकर रह रहे हैं। इससे इनके शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत अच्छा असर पड़ता है। एक जानकारी मिली थी व्हाट्सएप ग्रुप में, एक शहर में तो वृद्ध जनों के लिए फैशन परेड का आयोजन किया गया और यह बहुत ही सराहा गया। नाम भले फैशन परेड हो लेकिन इससे हम उम्र के लोगों को अपनी जवानी के दिन याद आ जाते हैं। और जो हुनर अपनी जवानी में किसी करणवश नहीं दिखा सके, आज इस उम्र में आकर उसे पूरा कर रहे हैं।
एक स्थान पर बुजुर्गो के एक कार्यक्रम में सभी से ऐसे खेल खिलाये गए जो उनके बचपन में प्रचलित थे। गुल्ली-डंडा, कंचे या अंटा, पिट्ठू, जमीन पर चॉक से कुछ बॉक्स बनाकर बिना देखे पीछे से छोटा पत्थर फैकना और फिर कूदना वगैरह जैसे खेलो में सभी ने भाग लिया। बुजुर्ग लोग साइकिल चक्के के रीम को एक डंडे से दौड़ा रहे थे। याद आने लगा कि हम भी ये सब कितने चाव से खेलते थे। न धुल मिट्टी की परवाह न भूख का एहसास। इन सारे खेलों में एक खास बात ध्यान देने योग्य हैं कि ये सब बगैर किसी खर्च के ही हमें अनुपम आनंदित कर देते थे।
एक बड़ी उम्र के ग्रुप ने बहुत ही सकारात्मक पहल की। सभी को स्मार्ट फोन पर क्या क्या किया जा सकता है उसकी जानकारी किसी नौजवान से दिलवायी। फोन तो सभी के पास है पर इसका सीमित उपयोग ही ज्यादातर लोग करते है। एक शहर में कुछ वरिष्ठ जनों ने मिल कर गरीब बच्चो के लिए कोचिंग क्लासेज शुरु की है।
एक विशेष पहल की मैं बात करूंगा जिसे एक बड़े प्रकाशन समूह ने वर्षो पहले आरंभ किया। वह है दैनिक पंजाब केसरी द्वारा बुजुर्ग व्यक्तियों के लिए एक वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब का बनाना। प्रकाशन समूह की डायरेक्टर श्रीमती किरण चोपड़ा जी ने इस पहल का आरंभ सन 2004 में किया था। इसमें बहुत सी गतिविधियां होती है। आवश्यकता अनुसार आर्थिक सहयोग भी बुजुर्ग व्यक्तियों को दिया जाता है। आज इस केसरी क्लब की 23 शाखाएं हैं। और सभी इकाइयों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिसमें वरिष्ठ जनों की भरपूर भागीदारी होती है। यह अखबार तो हर बुधवार को वरिष्ठ जनों के लिए एक या दो पृष्ठ में विशेष रोचक सामग्री प्रकाशित करता है। अधिक जानकारी वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की वेबसाइट और फेसबुक पर ली जा सकती हैं।
दिए गए सुझाव तो केवल एक छोटा सा प्रयास है। मूल बात यह हैं कि हम बुजुर्ग अपने आप को व्यस्त रखें और हमी में से कोई आगे आकर ऐसी पहल की लीडरशिप ले जिससे अनेको को लाभ मिले।
एक आग्रह आप सब से। आजकल सभी फ्लैट्टेड कॉलोनी में, मुहल्लो में, सुबह पार्क में घूमने वाले वरिष्ठ नागरिकों के बीच ग्रुप बन गए हैं। इन ग्रुप्स में बहुत सी अलग अलग तरह की गतिविधियां होती रहती है। यह बहुत अच्छी पहल है। आप सब से निवेदन होगा कि आप लोग क्या कर रहे हैं वह भी हमें लिखकर भेजें। आप हमें 9315381586 पर वाट्सएप कर सकते है या फेसबुक पर नेवर से रिटायर्ड फोरम ग्रुप पर लिख सकते है। हम दूसरों को भी जानकारी देने का प्रयास करेंगे, खास कर एसी पहल की जो हमें असाधारण नजर आये और जिसे हम आनंदित हो कर कर सके।
लेखक

लेखक नेवर से रिटायर्ड मिशन के प्रणेता है। इस ध्येय के बाबत वो इस वेबसाइट का भी संचालन करते है और उनके फेसबुक ग्रुप नेवर से रिटायर्ड फोरम के आज कोई सोलह सौ सदस्य बन चुके है।
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