बुजुर्ग ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचें

बुजुर्ग ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचें

अखबारों में जब ऑनलाइन धोखाधड़ी का समाचार आता है तो ऐसा नहीं है कि किसी खास उम्र के लोग ही इससे प्रभावित होते हैं। युवा तो प्रभावित शायद कम होते हो लेकिन यह निश्चित है कि बुजुर्ग ज्यादा प्रभावित होते हैं। इसका कारण है कि बुजुर्ग इतनी टेक्निकल चीजों को समझने में बहुत सक्षम नहीं होते हैं।

आजकल हर किसी के हाथ में स्मार्टफोन जरूर रहता है और इस स्मार्टफोन से हम बहुत कुछ करते भी रहते हैं।

अगर मोबाइल फोन के इतिहास में जाएं तो यह जानना जरूरी है कि भारत में पहली मोबाइल फोन सर्विस लॉन्च हुई थी 23 अगस्त 1995 को मोदी टेलस्ट्रा कंपनी द्वारा। यह कम्पनी आज के दिन वोडाफोन है। कोलकाता में मोबाइल फोन से बात करने की शुरुआत 31 जुलाई 1995 को पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु जी द्वारा की गई थी, जिन्होंने पहला कॉल, नोकिया के हैंडसेट, से केन्द्रीय टेलीकॉम मिनिस्टर सुखराम जी को दिल्ली किया था। इसके पश्चात अगले 29 वर्षों में यह सेवा कहां से कहां पहुंच गई है और आगे क्या होगा इसकी तो किसी को कल्पना भी नहीं है।

आज हम अपने मोबाइल फोन से पैसे के लेनदेन, बैंक के ट्रांजैक्शंस, रेल और हवाई यात्रा की बुकिंग और न जाने क्या कुछ कर सकते हैं। सिक्योरिटी के लिए भी इसका खूब उपयोग हो रहा है। मैं कई ऐसे व्यक्तियो को जानता हूं जो अपने मोबाइल से ही अपने कारोबार के स्थान पर या अपने घर पर कैमरा लगा कर वहां की लाइव वीडियो तक देख लेते हैं और यह जान सकते हैं कि वहां कौन आ-जा रहा है। इसी तरह ईमेल, डिजाइनिंग करना, जूम मीटिंग करना, वगैरह आज के दिन हाथ में पकड़े इस छोटे से मोबाइल से संभव हो जाता है।

इन सब सुविधाओं के बावजूद इसमें बहुत से रिस्क फैक्टर्स भी है जिस पर ध्यान देना जरूरी है। हम लोग अखबारों में रोज ही कोई ना कोई समाचार पढ़ते हैं कि कैसे ऑनलाइन फ्रॉड किए जा रहे हैं और लोगों के लाखों रुपए इस नई तकनीक से उनके बैंक अकाउंट से उड़ जाते हैं। कई बार तो ऐसा भी सुनने में आया की आपको कोई मैसेज मिला और अगर आपने उस मैसेज को खोल लिया तो आपके फोन का जितना भी डाटा है वह उस धोखेबाज व्यक्ति को उपलब्ध हो जाता है। ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले इतने बढ़ गए हैं की सरकार भी सजग हो गई है और समय समय पर दिशानिर्देश देती है की ऐसे फ्रॉड से केसे बचा जाए। अब सिक्योरिटी प्रोफेशनल्स भी आ गए हैं जो इसका समाधान बताते हैं।

फ्रॉड के नए-नए हथकंडे रोज उपयोग होने लगे हैं। एक किस्सा सामने आया कि किसी व्यक्ति के फोन पर एक वीडियो कॉल आया किसी लड़की का और वह बात करके कुछ अश्लील कार्य करने को कहती है। जब तक आप लाइन काटे तब तक आपकी फोटो वह कैप्चर कर लेती है। उसके बाद आपके पास और किसी व्यक्ति का फोन आता है कि आप इस समय इस लड़की से अश्लील बातें कर रहे थे। इसको हम उजागर कर देंगे समाज के सामने अगर आप हमें इतना पैसा नहीं देंगे। यह सब ऐसी घटनाएं हैं जिसमे कि अनजाने में आम आदमी फंस जाता है।

देश में कुछ छोटे-छोटे शहर जैसे कि झारखंड का जामताड़ा, हरियाणा का नूह तो बहुत फेमस हो गए हैं ऑनलाइन ठगी के लिए। वैसे सभी राज्यो में ऐसे आपराधिक प्रवर्ति के लोग हर समय इसी फिराक में रहते है कि वो कैसे नए नए व्यक्तियों को अपने जाल में फंसाये। और शायद बुजुर्ग व्यक्ति इसके शिकार जल्द बन जाते हैं।

इसका सकारात्मक पहलू भी देखें। सही उपयोग से मोबाइल फोन से हम तमाम कार्य कर लेते हैं। पहले जहां हमको किसी जगह जाकर ही मीटिंग करनी होती थी, आज उसकी जगह हम जूम या और कई तरीको से घर बैठे ही यह कार्य सम्पन्न कर सकते हैं। बहुत से युवा साथी छोटी-छोटी वीडियो बनाकर यूट्यूब, इंस्टाग्राम वगैरह पर पोस्ट करके काफी पैसा कमा रहे हैं। इसी तरह लिंक्डइन पर पोस्ट करके युवा साथी आज के दिन अपनी नौकरी तलाश कर लेते हैं। बैंकिग के तो ज्यादातर काम अब ऑनलाइन हो रहे हैं।

अखबारों में जब ऑनलाइन धोखाधड़ी का समाचार आता है तो ऐसा नहीं है कि किसी खास उम्र के लोग ही इससे प्रभावित होते हैं। युवा तो प्रभावित शायद कम होते हो लेकिन यह निश्चित है कि बुजुर्ग ज्यादा प्रभावित होते हैं। इसका कारण है कि बुजुर्ग इतनी टेक्निकल चीजों को समझने में बहुत सक्षम नहीं होते हैं। इसी कारण बुजुर्ग लोगों को बहुत ही सावधानीपूर्वक रहना होगा। ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचने के सभी संभव उपाय को ध्यान में रखकर ही अपने मोबाइल से कोई वित्तीय ट्रांजैक्शन या किसी अंजान व्यक्ति से बात करने में सावधानी बरतनी होगी।

सरकार भी इसके लिए बहुत सजग है और समय-समय पर काफी जानकारी आम लोगों को उपलब्ध कराती है। रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने भी दो बुकलेट प्रकाशित की है जिसका शीर्षक है 1. राजू और चालीस चोर व 2. BE(A)WARE. ये बुकलेट आप ऑनलाइन आर बी आई की वेबसाइट पर देख सकते है।

फर्जी ईमेल और फर्जी नोटिस से संबंधित धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों को देखते हुए गृह मंत्रालय ने कई बार लोगों को आगाह किया है कि वे इस तरह के नकली ईमेल व ईनोटिस से सावधान रहे। इनका जवाब देने के बजाय तुरंत इसकी शिकायत साइबर अपराध समन्वय केंद्र की वेबसाइट पर करें – http://i4c.mha.gov.in

अपने पासवर्ड को मजबूत बनाए और इसे कहीं लिख कर भी रखे। कई बार जब हमें इसकी आवश्यकता होती हैं हम अपने पासवर्ड को भूल जाते है। कुछ दिनो से एक बैंक द्वारा प्रसारित वीडियो में एक अच्छा सुझाव दिया गया है कि अपना पासवर्ड संस्कृत के शब्द से बनाए। अपने पासवर्ड को समय समय पर बदलते भी रहना चाहिए। एक ही पासवर्ड को हर जगह इस्तेमाल ना करें।

कई बार हम सार्वजनिक वाई-फाई का उपयोग करते हैं, जैसे कि एयरपोर्ट, रेलवे-स्टेशन, होटल वगैरह में। इससे बचना चाहिए। यह ज्यादा सुरक्षित नहीं होते हैं। अगर ज़रूरत पड़े तो ऐसे समय किसी वी पी एन सॉफ्टवेर का इस्तेमाल करें।

सबसे सही और आसानी से मिलने वाली जानकारी तो आपको अपने घर पर ही मिल जाएगी। आजकल छोटी उम्र में ही अपने बच्चे इतना कुछ हमे इस विषय पर सिखा सकते है। अगर कोई परिचित इस गोरखधंधे का शिकार हो चुका है तो उससे ज्यादा प्रेक्टिकल सुझाव, बचने के लिए, तो और कोई दे ही नहीं सकता।

अपने को अखबार और सोशल मीडिया पर ऐसे धोखाघड़ी के समाचारो को बारीकी से देखना चाहिए। आधुनिकता अपनाने के इस युग का यह अनचाहा नकारात्मक पहलू है। हमें सजग रहना है। शत प्रतिशत बचाव तो होना मुश्किल है लेकिन अगर हम थोड़ी बहुत भी सावधानी रख सके तो काफी हद तक बचे रहेंगे।

लेखक

विजय मारू
विजय मारू

लेखक नेवर से रिटायर्ड मिशन के प्रणेता है। इस ध्येय के बाबत वो इस वेबसाइट का भी संचालन करते है और उनके फेसबुक ग्रुप नेवर से रिटायर्ड फोरम के आज कोई सोलह सौ सदस्य बन चुके है।

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