Age Power

This “Age Power” section has been started to share your, our reader’s, views on “Harnessing Energy of Senior Citizens In Nation Building”. You may also find your write-up here. Write a piece in 500 to 700 words and send to us.

हम बुजुर्ग बहुत कुछ कर सकते हैं

हम बुजुर्ग बहुत कुछ कर सकते हैं

बहुत से पाठक यह सवाल पूछते हैं कि आपके लेखो में आज क्या परिस्थितियों से बुजुर्ग गुजरते हैं उसके विषय में तो बहुत जानकारी रहती है लेकिन हम क्या कर सकते हैं अपने आप को खुश रखने के लिए और स्वस्थ रखने के लिए, हमारी एक्टिविटी क्या होनी चाहिए उस पर भी कुछ सुझाव दें। […]

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बढ़ती उम्र में अच्छा स्वास्थ्य ही हमारी पूंजी है

आज अगर हम अपने आस-पास नजर डालें तो पाएंगे कि वित्तीय समस्याएं ही बहुत से वरिष्ठ नागरिकों को अस्वस्थ बना रही हैं। तो क्यों न हम यह निश्चित करें कि हमें स्वस्थ रहना ही है? आजकल मेडिकल सुविधाएं बहुत महंगी हो गई हैं। किसी भी बीमारी के लिए डॉक्टर से सलाह लेने में ही हजारों

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वरिष्ठजन: सेन्चुरी मारने के लिए डिसिप्लिन में रहे

At 94, LN Jhunjhunwala confident of attaining the age of 116

सभी की प्रबल इच्छा रहती है कि वो शतकवीर बने, सौ वर्ष जिवित रहें। बढ़ी उम्र में भी भगवान को प्यारा कोई नहीं होना चाहता, भले ही उनकी लाइफ स्टाइल कुछ भी रही हो। सेंचुरी के पास बहुत से बैट्समैन पहुंचते हैं लेकिन कई बार देखा गया है की कुछ ही रन से वह वहां

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चिट्ठी लिखना बहुत याद आता है

चिट्ठी लिखना बहुत याद आता है

हम बुजुर्गो को याद होगा कि कैसे हम पत्र, खत या कहें तो चिट्ठी लिखते थे। कैसे पोस्टमैन की राह देखते थे कि अपने नाम कोई पत्र आया है क्या। फोन की सुविधा अधिक न होने के कारण पत्रो का आदान-प्रदान ही संदेश भेजने का साधन होता था। फिर चाहे वह परिवार की खुशहाली का

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आत्मनिर्भरता ही वृद्धावस्था की खुशहाली है

आत्मनिर्भरता ही वृद्धावस्था की खुशहाली है

एक निश्चित उम्र आते ही हमारे शरीर में सिथिलता और असमर्थता आ जाती है और हम स्वयं खुद के रोजमर्रा के कार्यो को करने में भी अपने आप को असहज पाते है। हम आश्रित हो जाते है एक सपोर्ट सिस्टम पर जिसे हम परिवार या समाज कहते हैं। आज के परिदृष्य में इस तरह का

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हम बुजुर्गो के देखते देखते जीवनशैली बहुत बदल गई

हम बुजुर्गो के देखते देखते जीवनशैली बहुत बदल गई

थोड़े दिनो पहले एक छोटी सी वीडियो क्लिप मिली जिसमें दर्शाया गया कि हम सब जो अपनी जिंदगी का समय व्यतीत करते है, वो कैसे करते है और उसमें 1930 से लेकर 2024 तक में क्या बदलाव आया है। 1930 में जन्मे तो बिरले ही होंगे जो इस लेख को पढ़ रहे होंगे। बाते तो

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बुजुर्ग संभलकर रहें, गिरना तो बिल्कुल नहीं है

Don't fall, Be Careful

मैं कोई डॉक्टर नहीं हूं पर आज चर्चा करेंगे एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सम्बन्धित विषय पर। शरीर में अपने पांव पर भी उतना ही थ्यान रखने की आवश्यकता है जितना की हम अक्सर अपने दिल को या हार्ट को देते है। पांव लड़खड़ाएं, हम गिरे और हमारी हड्डी में फ्रेक्चर आने में देर नहीं

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बढती उम्र में हमारी भगवान से मांग भी बदल जाती है

As we grow older, our demands from God also change

याद आते है वो बचपन के दिन जब हम स्कूल में पढ़ते थे और एग्जाम के समय रोज पेपर देने के पहले घर पर बने पूजा स्थल पर जाकर भगवान से आशीर्वाद लेते थे और उनसे निवेदन करते थे कि हमें अच्छे नम्बर से उत्तीर्ण कर दे। रोजदिन तो भगवान के सामने माथा टेकने किसी

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नववर्ष में बुजुर्ग जन का एकमात्र संकल्प हो, स्वस्थ रहना

नववर्ष में बुजुर्ग जन का एकमात्र संकल्प हो, स्वस्थ रहना

2025 के आगमन पर सभी का हार्दिक अभिनंदन। आमजन नववर्ष पर बहुत संकल्प लेते हैं और प्रयास करते हैं कि उन्हें आने वाले वर्ष में क्रियान्वित भी करे। यह बात अलग है कि किये गए संकल्प में से कम ही पूरे होते है, कारण समय-समय पर हम काॅम्प्रोमाइज करते रहते है। ऐसे में वरिष्ठ जन

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जितनी चाबी भरी राम ने उतना चले हम

जितनी चाबी भरी राम ने उतना चले हम

अंधा कानून फिल्म में एक गीत था,रोते रोते हंसना सीखो,हंसते हंसते रोना,जितनी चाबी भरी राम नेउतना चले खिलौना। कवि ने कितनी गंभीर बात को इतनी सहजता से लिख दिया। हम नहीं जानते हैं कि हमें कब यमराज लेने आ जाएंगे। भगवान ने कितनी चाबी हम में भरी उसका सीक्रेट तो वो ही जानते हैं। हम

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दादा-दादी की पाती, पोते-पोती के नाम

दादा-दादी की पाती, पोते-पोती के नाम

मेरे प्यारे बच्चों, बहुत दिनों से तुम सबको एक पत्र लिखने कि सोच रहा था। और कार्यो में व्यस्त होने के कारण कुछ देर हो गई। तुम सोच रहे होंगे कि दादाजी को इतनी व्यस्तता क्या आ पड़ी कि एक पत्र लिखने में इतना समय लगा दिए। तुम्हें जानकर खुशी होगी कि मैं इस आयु

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बुढ़ापे में बच्चों का साथ कितना जरूरी

आज एक पत्रकार के ट्विटर पोस्ट पर नजर गई और पढ़कर मन बहुत विचलित हो गया। पत्रकार ने लिखा कि उसे एक अस्सी वर्षीय व्यक्ति मिले जिनकी पत्नी का स्वर्गवास दस वर्ष पूर्व हो चुका था। उस बुजुर्ग के दोनो बच्चे अमेरिका में रहते है। पुत्र से तो वो चार वर्ष से मिले ही नहीं

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