Age Power

This “Age Power” section has been started to share your, our reader’s, views on “Harnessing Energy of Senior Citizens In Nation Building”. You may also find your write-up here. Write a piece in 500 to 700 words and send to us.

दूसरी पारी को वरिष्ठ जन आसान खुद बनाएं

दूसरी पारी को वरिष्ठ जन आसान खुद बनाएं Seniors Must Make the Second Innings Easier

क्रिकेट के मैदान में पहली पारी समाप्त होने के बाद ड्रेसिंग रूम में बहुत अहम बैठक की जाती है। उसमें विचार होता है कि अब दूसरी पारी कैसे खेली जाए। यदि पहली पारी में बहुत अच्छा प्रदर्शन हुआ है और जीत की स्थिति में हैं, तो दूसरी पारी का खेल और सधा हुआ होगा, ताकि […]

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बुजुर्गों के लिए ‘जीवन जीने की कला’ सीखना अतिआवश्यक

Learning the Art of Living – A Must For Seniors

जीवन के उत्तरार्ध में प्रवेश करते हुए, केवल जीना पर्याप्त नहीं होता—हमें अच्छा जीना होता है। और अच्छा जीने का मतलब केवल धन, पद या व्यस्तता नहीं है। इसका अर्थ है उद्देश्य, उपस्थिति और शांति के साथ जीना। वरिष्ठजनों के लिए जीवन जीने की कला सीखना कोई विकल्प नहीं है, यह अनिवार्य है। यह व्यस्तता

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बढ़ती उम्र में कुछ भूलना स्वाभाविक है

Forgetting a Little with Age Is Natural

“अरे भई, अब तो हम बूढ़े हो गए हैं, कुछ याद ही नहीं रहता।” यह वाक्य हम सभी ने कभी न कभी किसी बुजुर्ग के मुंह से जरूर सुना होगा – या खुद कहा भी होगा। कभी किसी का नाम याद नहीं आता, तो कभी कोई जरूरी बात जो अभी-अभी सोच रखी थी, वह मस्तिष्क

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क्या दादी-नानी के नुस्खे जल्द लुप्त हो जायेंगे?

क्या दादी-नानी के नुस्खे जल्द लुप्त हो जायेंगे?

“दादी, पेट में बहुत दर्द हो रहा है।” छोटी सी बच्ची अपने दर्द से कराहते हुए अपनी दादी से कहती है। मम्मी डॉक्टर से अपॉइंटमेंट की कोशिश में लगी हैं, पर तब तक तो बिटिया को राहत नहीं। दादी मुस्कराते हुए एक गिलास गर्म पानी मंगवाती हैं, किचन की आलमारी से अजवाइन का चूर्ण निकालती

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उम्र बढ़ रही है, स्वस्थता भी बढ़ी क्या?

Longevity

आज का समय मानव जीवन में एक अनोखा परिवर्तन लेकर आया है — औसत जीवन प्रत्याशा लगातार बढ़ती जा रही है। लोग पहले की तुलना में कहीं अधिक उम्र तक जी रहे हैं। लेकिन इसके साथ ही एक चिंताजनक बात यह भी है कि बीमार लोगों की संख्या भी तेज़ी से बढ़ रही है। कुछ

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वरिष्ठजन बदलाव को स्वीकार करें

वरिष्ठजन बदलाव को स्वीकार करें

एक प्रश्न सभी से — क्या आपको अपनी सबसे पुरानी ऐसी कोई बात याद है, जिसे सोचते ही आज भी रोमांच हो उठता है? कभी बचपन का कोई खेल, कभी भाइयों-बहनों के साथ की तकरार या स्कूल में सहपाठियों के साथ बिताए पल। याद कीजिए वह समय जब छोटे-छोटे झगड़े भी होते थे लेकिन उनमें

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बुढ़ापा, अभी न आ…

Old age, don't come yet...

कुछ दिनों पहले की बात है। मैंने 75 वर्ष की उम्र पार कर ली। जीवन की इस अवस्था में जब पीछे मुड़कर देखता हूं, तो लगता है जैसे समय पंख लगाकर उड़ गया। अब सामने बुढ़ापा खड़ा है, और ऐसा लगता है जैसे वह कुछ ज्यादा ही तेजी से मेरी ओर बढ़ रहा है। यह

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जीते जी प्रशंसा करिए, केवल विदाई पर नहीं

जीते जी प्रशंसा करिए, केवल विदाई पर नहीं

हमारा समाज एक विचित्र मनोवृत्ति से ग्रसित है — हम अक्सर किसी की अच्छाई तब ही खुलकर कहते हैं जब वह व्यक्ति हमारे बीच नहीं रहता। शमशान घाट या श्रद्धांजलि सभाएं — ये वो जगहें बन गई हैं जहां हम किसी के जीवन की महानताओं का उल्लेख करते हैं, उनके गुणों को सराहते हैं, और

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अनुभव की जीवित पुस्तकें हैं बुजुर्ग महिलाएं

अनुभव की जीवित पुस्तकें हैं बुजुर्ग महिलाएं

जब भी बुजुर्गों की बात होती है, तो अधिकतर चर्चा पुरुषों के अनुभव, संघर्ष और योगदान पर ही केंद्रित रहती है। लेकिन क्या हमने कभी ठहरकर यह सोचा है कि हमारे घरों की बड़ी बुजुर्ग महिलाएं भी अनुभव की जीवित पुस्तकें हैं, जिनमें जीवन की अनगिनत कहानियाँ, परंपराओं की गहराई और व्यवहारिक ज्ञान छिपा हुआ

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‘फादर्स डे’ हम बुजुर्गों ने तो बचपन में सुना ही नहीं था

‘फादर्स डे’ हम बुजुर्गों ने तो बचपन में सुना ही नहीं था

पाश्चात्य संस्कृति, जिसे पश्चिमी संस्कृति भी कहा जाता है, की देन है यह पितृ दिवस या फादर्स डे को मनाना। हर वर्ष, जून के तीसरे रविवार को जश्न, उपहार और श्रद्धांजलि के साथ मनाया जाता है फादर्स डे। इस वर्ष पिछले रविवार, 15 जून को यह मनाया गया। सुबह से फोन पर शुभकामना संदेश और

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बुजुर्ग पर्यावरण की रक्षा खूब करते हैं

बुजुर्ग पर्यावरण की रक्षा खूब करते हैं

अभी पिछले सप्ताह ही 5 जून को हमने पर्यावरण दिवस मनाया। मन में विचार आया कि हम बुजुर्ग जब छोटे थे तब इस विषय पर शायद ही कभी चर्चा होती थी। और आज तो किसी गोष्ठी में हो, परिवार के बीच हो या दोस्तों की महफिल ही क्यूं न हो, पर्यावरण – पोल्यूशन पर सब

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तब हम दोस्तों को आवाज देकर बुलाते थे

तब हम दोस्तों को आवाज देकर बुलाते थे

मैंने कोई एक वर्ष पहले इसी विषय पर एक लेख लिखा था, जिसका शीर्षक था बुजुर्ग के लिए मित्र मंडली बहुत आवश्यक। आज पुनः, जब व्हाट्सएप पर एक मैसेज आया तो मन हुआ कि इस विषय पर तो और भी बहुत कुछ लिखा जा सकता है। यह मैसेज तो दिल को ही छू गया। मैसेज

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