भारत जल्दी ही दुनिया के अग्रणी देशों की सूची में स्थान पाने की तैयारी कर रहा है। देश का शक्तिशाली राजनीतिक नेतृत्व, राजनीतिक स्थिरता, अपार प्राकृतिक संपदा के अलावा उन्नति के जो महत्व पूर्ण कारक है उसमें देश की युवा जनसंख्या का स्थान सबसे ऊपर है। इस समय देश में 15 से 30 वर्ष के नवयुवकों की संख्या लगभग 26% और 25 वर्ष से कम युवको की संख्या 50% तथा 65% से ज्यादा लोग 35 वर्ष से नीचे की आयु वर्ग के है। औसत भारतीय की आयु 29 वर्ष है। इसलिए भारत को युवाओं का देश कहा जा रहा है। देश के सर्वांगीण विकास के लिए हम सब के आशान्वित होने का यह एक बड़ा कारण है।
परंतु जनसंख्या का एक दूसरा पहलू भी है। आज देश में 14 करोड़ से ज्यादा वरिष्ठ नागरिक है। 2025 तक इनकी संख्या 20 करोड़ होने वाली है, यानी हर सातवाँ व्यक्ति देश का वरिष्ठ नागरिक होगा। हमारा देश इस वर्ष आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। लेकिन जब हम आजादी की सौवीं वर्ष गांठ मना रहे होंगे तो भारत की 50% से ज्यादा जनसंख्या वरिष्ठ नागरिकों की होगी। इसलिए आज जब देश अगले 25 वर्षों की तैयारी कर रहा है यह उचित समय है कि देश, वरिष्ठ नागरिकों के लिए बनाए हुए कानून, सरकार द्वारा वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली सुविधाएं, स्वास्थ्य के लिए आवश्यक अस्पताल, वृद्धा अवस्था की समस्याओं से निपटने के लिए संसाधनों की उपलब्धता तथा इनके सुचारु संचालन और देखरेख के लिए एक अलग “वरिष्ठ नागरिक सुरक्षा एवं समाज पुनर्निर्माण मंत्रालय” की घोषणा प्रधान मंत्री जी स्वतंत्रता दिवस के राष्ट्र के सम्बोधन में लाल किले से करें ताकि देश को भरोसा हो जाए कि सरकार केवल संरचनात्मक परिवर्तन नहीं आमूल -चूल परिवर्तन की बात कर रही है। देश के वरिष्ठ नागरिकों की एक बड़ी आबादी देश और नव युवको के भविष्य के लिए चिंतारत रहने के बजाय समाज के पुनर्निर्माण के पुनीत कार्य में लग जाए और अपनी ऊर्जा एवं अनुभव से समाज को नई दिशा देकर देश को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने में नए भारत के निर्माण में जिसका आह्वान मोदी जी ने चार वर्ष पूर्व जिया था, में अपना सहयोग कर सके।
आज के वरिष्ठ नागरिकों ने अपने युवा काल में देश की उन्नति में अपना सहयोग किया है, इन् सब लोगों के प्रयासों का फल है कि आजादी के समय पिछड़े देशों की गिनती में शुमार भारत 75 वे साल के आते-आते अग्रणी देशों में शुमार होने की तैयारी कर रहा है। हालांकि इसके और भी अनेक कारण है, तो भी नीव के पत्थर बने वरिष्ठ नागरिकों के योगदान को सम्मान मिलना ही चाहिए। वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण की योजनाएं केंद्र सरकार सभी राज्यों के लिए एवं राज्य सरकारों के द्वारा राज्य की जरूरतों के हिसाब से बनाई जा रही है। केंद्र सरकार में अलग मंत्रालय बनने से इन कार्यक्रमों को गति मिलेगी और केंद्र तथा राज्य सरकारों के बीच बेहतर तालमेल से योजनाओं का कार्यान्वयन ज्यादा प्रभावी और गुणवत्ता पूर्ण हो सकेगा। केंद्र सरकार अपने वार्षिक वित्तीय बजट में कल्याणकारी कार्यक्रमों के लिए धन का बंदोबस्त कर सकेगी और चलाए जा रहे कार्यक्रमों की निगरानी भी आसानी से कर सकेगी।
वरिष्ठ नागरिकों की ऊर्जा का इस्तेमाल समाज के पुनर्निर्माण और जागरण के लिए कैसे हो, इनकी ऊर्जा से समाज में क्या परिवर्तन लाए जा सकते है, इनके अनुभवों का लाभ देश और समाज को कैसे मिले तथा यह लोग ज्यादा से ज्यादा शरीर और दिमाग को स्वस्थ रखकर परिवार और समाज के लिए समस्या बनने के बजाय उम्मीद की किरण बन जाए और अपना जीवन अंत तक सम्मान के साथ कैसे जियें इन विषयों पर विस्तृत चर्चा की आवश्यकता है। मेरा विश्वास है कि इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अच्छे कार्यक्रम और सुझावों पर अमल सुनिश्चित करने से समाज के पुनर्निर्माण का पुनीत कार्य होना संभव है। सबसे अच्छी बात यह है आजकल अवकाश प्राप्ति की आयु जो साधारणतया साठ वर्ष रहती से लगा कर अगले पंद्रह वर्ष यानि पचहत्तर वर्ष की आयु तक ज्यादातर लोग शारीरिक और मानसिक स्वस्थ रहते है। जीवन के लिए आवश्यक पारिवारिक दायित्वों का निर्वाह भी सामान्यतया इस समय के आते- आते पूरा हो जाता है। आगे जीवन के लिए धन इत्यादि की भी व्यवस्था हो चुकी होती है। सबसे बड़ी बात कि नौकरी इत्यादि करते हुए समाज के लिए उत्थान में मेरा भी योगदान हो और मैं भी उसमे सक्रिय सहयोग करूँ यह भाव अति संवेदनशील लोगों के लिए ही संभव हो पाता है। इसीलिए काम करते हुए कुछ प्रति शत लोग ही समाज के साथ सक्रिय भागीदारी कर पाते है। अतः अवकाश प्राप्ति के बाद समाज में सक्रिय सहयोग करने से समाज के लिए उन्हे अपनी उपयोगिता का आभास होगा तब अपनी नजरों में भी उनका महत्व बढ़ जाएगा इससे प्राप्त खुशी लंबी आयु और स्वस्थ जीवन के लिए उत्प्रेरक का कार्य करेगी। वृद्धा अवस्था में अकेलापन का एहसास आज की कड़वी सच्चाई है। अतः समाज को विस्तृत परिवार बनाना और मानना इसका अच्छा विकल्प हो सकता है। इसके लिए समाज में सक्रिय होकर लोगों के सुख दुख में भागीदारी करना इसका पहला पड़ाव है। इसे करने से समय का सदुपयोग और मानसिक एवं शारीरिक सुरक्षा दोनों का साधन बन जाएगा।
हेल्पएज इंडिया ने लखनऊ में रहने वाले करीब 6000 वरिष्ठ नागरिकों का एक सर्वे जून 2022 में प्रकाशित किया जिसमें बताया गया है की 52% से अधिक लोगों में काम करने का जुनून अभी भी है। यदि वरिष्ठ नागरिकों की वर्तमान जनसंख्या 14 करोड़ में से 50% यानि केवल 5-7 करोड़ लोग अपने मात्र 2-3 घंटे समाज में लगा सके तो कम से कम 20 करोड़ घंटे प्रतिदिन समाज सेवा के लिए उपलब्ध होंगे। इतना समय 4-5 वर्षों में देश की दिशा और दशा बदल सकता है। छोटे छोटे काम जैसे बच्चों को पास के पार्क में संस्कार देना, उनके साथ खेलना और उन्हे खेल सिखाना, देश भक्ति के गीत और कहानियाँ सुनाना जैसे कार्य बिना शारीरिक श्रम के मनोरंजन के रूप में यदि पड़ोस के पार्क में सुबह और शाम या छुट्टियों में आसानी से किए जा सकते है। यह ऐसे काम है जिनका लाभ हमारी पीढ़ी को खूब मिल सकता है लेकिन जीवन की आपा धापी में अब नई पीढ़ी के लिए उपलब्ध नहीं है। एकल परिवार में जहां माता पिता दोनों लोग काम करते है वहां बच्चों को संस्कार मोबाईल, टीवी और इंटरनेट से मिल रहे है। इन संस्कारों से युक्त समाज की दयनीय स्थिति हम सब अनुभव कर रहे है। स्थिति को बेहतर कैसे किया जाए अब इस पर काम करने का अवसर आ गया है।
साध्वी ऋतंभरा जो दीदी माँ के नाम से विख्यात है उन्होंने अपने वृंदावन आश्रम में बच्चों के लिए बनाए गए अनाथ आश्रम के साथ ही दादी और नानी का भी आश्रम बनाया है। यहाँ पर पल रहे बच्चों को दादी और नानी का भी साथ और प्यार मिलने से इनके जीवन में परिवार से बिछड़ने के बाद जो रिक्तता उत्पन्न हुई उसे बहुत हद तक भरने में सहायता मिली है। इस व्यवस्था से इन बच्चों के ईमोशनल कोसेंट (Emotional Quotient) को बढ़ाने और उसे संतुलित करने में सफलता मिली है। दादी और नानी बनी वृद्ध महिलाओं के लिए भी बच्चों से प्यार बाटनें का अवसर बनने से दोनों के बीच एक भावनात्मक जुड़ाव हो गया है। नतीजतन बच्चे दूसरे बच्चों तथा अन्य लोगों के साथ अच्छे संबंध बना पाए और उनकी संवेदनशीलता भी बढ़ गई। आज समाज और परिवार में जो तमाम विक्रतियाँ जैसे परिवार में दुरव्यवहार, बात बात में चिड़चिड़ाना या उत्तेजित हो जाना, रिश्तों को अहमियत न देना इत्यादि दिखाई दे रही है इस का एक कारण EQ का असंतुलित होना भी है। अतः बच्चे भविष्य में अच्छे संवेदनशील नागरिक बने इसमे वरिष्ठ नागरिकों का योगदान बड़े महत्व का हो सकता है। इसके अलावा समाज में सेवा के अन्य कई आयाम है जहां वरिष्ठ जन अपना सहयोग करे तो थोड़े समय में ही इसके सुखद परिणाम मिलने शुरू हो जाएंगे।
समाज में सक्रिय भागीदारी करने वाले लोगों को सम्मान मिले, उन्हे अपने कार्य के लिए दूसरे लोगों के सामने प्रशंसा मिले इसके लिए सरकार की तरफ से सार्थक योजना की शुरुवात होने से लोगों को सेवा के लिए मौका मिलेगा। ऐसी ही एक योजना में स्कूली शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्कूल और कालेज में बच्चों के साथ अपने अनुभव बाटने के लिए समाज के सभी लोगों का आह्वान किया गया है। इसके अंतर्गत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में निशुल्क सेवा देने में इच्छुक लोगों की सूची बनाने और इसको अमल में लाने के लिए विस्तृत योजना बनाने और लागू करने की तैयारी शिक्षा मंत्रालय द्वारा की जा रही है । इसमे वरिष्ठ नागरिक सक्रिय सहयोग करे इसका प्रयास इस योजना के माध्यम से किया जाना चाहिए।
वरिष्ठ नागरिक मंत्रालय द्वारा किए जाने वाले विभिन्न कार्यों में एक महत्व पूर्ण कार्य बुजुर्गों की सुविधा, सुरक्षा और सम्मान को सुनिश्चित किया जाना है। यह काम केवल कानून बना देने मात्र से होने वाला नहीं है। उदाहरण के लिए घरेलू हिंसा की खबर पुलिस से पहले पड़ोसी को मिलती है। अतः यदि पड़ोसी संवेदनशील है और घर के बुजुर्गों का संपर्क आस पास के लोगों से है तो बहुत संभावना है कि इसकी नौबत ही नहीं आए। और यदि आ ही जाए तो तुरंत समाधान हो जाए। वरिष्ठ नागरिकों की बेहतर देखभाल के लिए केंद्र सरकार ने एक आदेश पारित कर सभी जिलों में कम से कम एक वृद्धाश्रम बनाए जाने के आदेश दिए है। यह आश्रम अत्याधुनिक सुविधायुक्त होंगे। इनमें प्राप्त होने वाली सुविधाओं और रखरखाव के मानक तैयार किए जा रहे है जिसे सभी वृद्धाश्रमों को पालन करना पड़ेगा। इस कार्य में भी वरिष्ठ नागरिक जिनकी सेहत अभी ठीक है ऐसे लोग अपना सहयोग करें तो सरकार पर खर्चे का बोझ काम होगा इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है बुजुर्गों से संवेदनशील व्यवहार। इसे प्रोफेशनल लोगों से ज्यादा अच्छा वरिष्ठ नागरिक जन कर सकेंगे।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की पहल पर एक रोजगार पोर्टल सेक्रेड (senior able citizens re-employment in dignity) की शुरुवात की गई है । इसमे दो हजार से भी ज्यादा उद्योगों ने वरिष्ठ नागरिकों को नौकरी देने के लिए पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाया है और अपनी आवश्यकतानुसार भर्ती के लिए पोस्टिंग की है। यह वरिष्ठ नागरिकों को सामान्य सेवा से मुक्ति के बाद पुनः सम्मान पूर्ण जीवन जीने का अवसर प्रदान करने का अवसर प्रदान करेगा। खास तौर पर उन लोगों के उपयोगी है जिनके सामने किसी कारण से जीवन यापन के लिए धन इत्यादि की आवश्यकता है। इनकी सेवाएं लघु उद्यमियों, स्कूल तथा कालेज में और टेकनालजी वाले कामों तथा अन्य क्षेत्रों में विशेषज्ञों की रह सकती है तथा यह लोग बाजार से काम मूल्य पर अपनी सेवाएं स्थानीय लोगों को उपलब्ध करा सकते है। इससे समाज और व्यक्तिगत दोनों ही लाभान्वित होंगे। प्रसिद्ध समाज सेवी विजय मारू ने वरिष्ठ नागरिकों को प्रोत्साहित करने के लिए एक अभियान नेवर से रिटायर्ड (www.neversayretired.in) चलाया है जिसमें वर्तमान में दो हजार से भी ज्यादा लोग जुड़े हुए है । यहाँ पर वरिष्ठ नागरिकों के मनोरंजन, सरकारी योजनाओं की जानकारी तथा अन्य उपयोगी सामग्री उपलब्ध है।
प्रायः देखा जाता है कि अति वृद्धावस्था में जब व्यक्तिगत आवश्यकता के लिए सहायक की जरूरत पड़ने लगती है तब केवल अच्छी आर्थिक स्थिति वाले लोग ही इसे वहन कर पाते है। इसके लिए लंबी अवधि सेवा बीमा योजना बनाई जा सकती है ताकि आम जन अपनी इच्छानुसार इसे खरीद कर भविष्य की कठिनाइयों से बचने का प्रबंध कर सके। ऐसी बीमा पालसी विदेशों में काफी प्रचलित है। एक बार इस विषय की चर्चा समाज में शुरू हो तो इस संदर्भ में अन्य नीतिगत परिवर्तन के लिए सुझाव आने शुरू हो जाएंगे इनको अमल में लाकर स्थितियों में सुधार किया जा सकेगा।
गाँव में रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों की सेवा के लिए वहीं के नौजवानों को आवश्यक प्रशिक्षण देकर तैयार करना बेरोजगारी दूर करने में सहायक हो सकता है। इन नौजवानों को आर्थिक रूप से सक्षम लोग सेवा का उचित मूल्य दे सकते है। गरीब लोगों की सेवा के लिए धनराशि के आबंटन की योजना गाँव में चल रही मनरेगा योजना में की जा सकती है।
वरिष्ठ नागरिकों की देख रेख और सुविधा से संबंधित तमाम योजनाएं अभी अलग अलग मंत्रालय संचालित कर रहे है। वर्तमान की केंद्र सरकार ने जैसे गतिशक्ति योजना बना कर पोर्टल के माध्यम से अलग – अलग मंत्रालयों के बीच सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास किया है ऐसा ही प्रयास वरिष्ठ नागरिकों से जुड़ी योजनाओं के लिए भी किया जाना चाहिए। ताकि सभी योजनाओं की जानकारी एक जगह मिले और इधर उधर भागना न पड़े और काम में यदि कोई असुविधा हो तो शिकायत और सुझाव भी वहीं दिए जा सके। इसके लिए “वरिष्ठ नागरिक सुरक्षा एवं समाज निर्माण मंत्रालय” बना कर सभी योजनाएं समेकित करने से संबंधित व्यावहारिक कठिनाइयों का उचित समाधान मिल सकेगा। स्वतंत्रता के अमृत काल वर्ष में इस योजना को फलीभूत करने से अगले 25 वर्षों में जब वरिष्ठ नागरिकों की संख्या पचास करोड़ से भी अधिक होने वाली है की तैयारी शुरू हो जाएगी। एक बात जो बड़ी विशेष है देश का कोई भी नागरिक इस मंत्रालय की सेवाओं से वंचित नहीं रह सकता है क्योंकि जो आज वरिष्ठ है वह तो है ही जो आज नहीं है उन्हें भी इस आयु समूह में शामिल होना है यह ईश्वरीय व्यवस्था है इसका कोई अपवाद नहीं। अतः यह निर्णय “सर्वे भवन्तु सुखिना” को चरितार्थ करने की गारंटी है ।
Author Bio
Mr. Ajay Singh “Ekal” is a social worker and have contributed to Ekal Vidyalya Movement for more than a decade. He has been Editor of Ekal Prayas for five years. He has been expressing views on Blog, Youtube and other social media platforms. In Amrit mahotsav varsh he is contributing regularly his thoughts on the issues of national importance in various print and electronic media. He is a founder of Rail Edutech Private Limited a company working in Skill development. The article originally published in डायलॉग इंडिया अगस्त 2022 issue.
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Anything we suggest to govt should have min financial.burden on govt..A modern old age home in every district supported or funded by govt is not a good idea. After few months or a year or two will degenerate for want of funds. It must bevpaid for by user.
About 2 hours contribution by senior citizens is not a workable idea. In general it has to be 5 hours where senior citizens take definite responsibility. No serious productive work can be done in that short time. Skill development ministry offers various courses under PMKVY and DDu-GKY. Senior citizens should avail of those facility. In today’s time they shoujd leRn basics of MS office , internet search, DTP, photos hope etc, and then can mKe positive contribution which will be remuneration. Those having knowledge of accounts can easily learn Tally software. Those who been teaching science can take classes in hivt schools. I know people who are teaching Maths in Municipal schools to students of class 6-8. Likewise senior citizens can do many things. They do not have to wait gor govt. Anything govt does is welcome.
Excellent initiative …Sir…!
I have some more inputs …!
For Sr Citizens only …..there should be a service based Organization…..which will provide all types of services needed for Sr Citizens ..!
For example ….paying electricity bills ..or any other bills , Cleaning of home , Day to day services like cooking , medical attention …etc ..!
Once the person is enrolled on company’s register ..then by paying the minor fees …that Sr Citizen ..old & helpless person must get all the required services on a single phone call…!
Hope you must have thought on such remedies on their problems …but still there can be scope to improve ….!
Also I Urge NAMO Government…to please restart the travel concession for Sr Citizens in Railways & Bus also …!
Sincere Regards…!
Providing opportunities to involve in activity and giving the juice of experience in such activity with or without any financial consideration, depending on case to case basis, is as much as important as using the tons of experience for smallest innovation,activity,production or deriving path to reach there, for achieving excellence in Make in India.