एक वर्ष और बीत गया। 2026 के आगमन के लिए हम सब तैयार खड़े हैं। हम सचमुच खुशनसीब हैं कि अपने जीवन का एक और वर्ष पूरा कर पाए। इस यात्रा में हमारे कुछ प्रियजन हमसे बिछुड़ भी गए, जिनकी यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी।
अब हमारा दायित्व है कि जब तक ऊपर से बुलावा न आए, तब तक जीवन को सुचारु, सार्थक और सकारात्मक रूप से जीते रहें। अपनी बुद्धि का सदुपयोग करें, स्वस्थ रहें, खुश रहें, दूसरों को खुश रखें और समाज के लिए कुछ न कुछ करते रहें—यही हमारी जीवन-दृष्टि होनी चाहिए।
नव वर्ष 2026 के अवसर पर हम वरिष्ठजन यदि केवल तीन संकल्प ले लें, तो आने वाले वर्ष सचमुच अर्थपूर्ण बन सकते हैं—
पहला संकल्प:
हम मन में यह दृढ़ विश्वास रखें कि हम वरिष्ठ हैं, बूढ़े नहीं।
दूसरा संकल्प:
हम अपनी सेहत को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे—खुद भी खुश रहेंगे और दूसरों को भी खुश रखेंगे।
तीसरा संकल्प:
हम समाज के प्रति अपने दायित्व को समझेंगे और उसे निभाएंगे।
अब पहले संकल्प पर विचार करें।
उम्र तो प्रतिदिन बढ़ रही है, यह एक स्वाभाविक सत्य है। पर उम्र बढ़ने का अर्थ यह नहीं कि हम बूढ़े होते जा रहे हैं। हमें बुढ़ापे और वरिष्ठता के बीच का अंतर समझना होगा। इसी विषय पर मैंने एक वर्ष पहले एक लेख भी लिखा था—“हम वरिष्ठ हैं, बूढ़े नहीं।” हमारी सबसे बड़ी पूंजी यही है कि हमने जीवन भर अनुभव अर्जित किए हैं और आज भी अपने विवेक से जीवन को संवारने की क्षमता रखते हैं।
ध्यान रखिए—
बुढ़ापा सहारे की तलाश करता है, जबकि वरिष्ठता दूसरों को सहारा देती है।
बुढ़ापा अपने अंतिम समय की प्रतीक्षा करता है, जबकि वरिष्ठता इन अंतिम वर्षों में भी एक नई सुबह की उम्मीद रखती है।
आने वाले वर्षों के लिए हमारा संकल्प यही होना चाहिए कि हम इस अंतर को समझें और जीवन का आनंद पूरे मन से उठाते रहें।
अब दूसरे संकल्प की बात करें।
इस पर अधिक कहने की शायद आवश्यकता ही नहीं है, क्योंकि हम सभी इसके महत्व से भली-भांति परिचित हैं। इस उम्र में अपने शरीर और मन का विशेष ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। जब हम स्वस्थ रहेंगे तभी हम आत्मनिर्भर रह पाएंगे, और तभी दूसरों के काम भी आ सकेंगे। आज ही मन में यह ठान लें—हम अपनी सेहत का ध्यान रखेंगे, इसे प्राथमिकता देंगे, खुश रहेंगे और दूसरों को भी खुश रखेंगे।
अपने मोहल्ले में, अपनी हाउसिंग सोसाइटी में वरिष्ठजनों का एक समूह बनाइए। साथ मिलकर गाइए, नाचिए, योग और व्यायाम कीजिए, हंसी-मजाक और रचनात्मक गतिविधियों में भाग लीजिए। नए-नए प्रयोग करते रहिए। जब आप खुश रहेंगे, तो आपके आसपास का वातावरण भी स्वतः ही खुशहाल हो जाएगा। यही तो जीवन जीने की सच्ची कला है।
अब आते हैं तीसरे और अंतिम संकल्प पर।
मेरा दृढ़ विश्वास है कि अब समय आ गया है जब हम समाज के प्रति अपने दायित्व को गंभीरता से निभाएं। जीवन भर समाज ने हमें बहुत कुछ दिया है। हम अपनी जिम्मेदारियों में इतने व्यस्त रहे कि व्यक्तिगत दायरे से बाहर देखने का अवसर ही नहीं मिला।
अब, जबकि हम अपनी सक्रिय पेशेवर जिंदगी से निवृत्त हो चुके हैं, तो यह सही समय है कि हम समाज-सेवा की ओर कदम बढ़ाएं।
अवसरों की कोई कमी नहीं है। हमें केवल यह सोचना है कि हमारा मन किस कार्य में लगता है और किस कार्य से हमें आत्मसंतोष मिलेगा। जब हम अपने विवेक से ऐसा कार्य चुनते हैं, तो उससे समाज का भी भला होता है और हमें भी गहरी संतुष्टि मिलती है।
सामाजिक कार्य का एक बड़ा लाभ यह भी है कि हमें ऐसे लोगों का साथ मिलता है जो सकारात्मक सोच रखते हैं और सेवा-भाव से जुड़े होते हैं।
दूसरों की सेवा से जो आनंद मिलता है, उसका सीधा और सकारात्मक प्रभाव हमारी शारीरिक और मानसिक सेहत पर पड़ता है। हम अधिक प्रसन्न रहते हैं, घर का वातावरण सुखद बनता है और जीवन के प्रति उत्साह बढ़ता है—जिससे हमारी जीवन-प्रत्याशा भी बढ़ती है।
2026 और उसके बाद के वर्षों के लिए यदि हम यह संकल्प लेकर आगे बढ़ें कि हमें स्वस्थ रहना है, खुश रहना है और दूसरों की सेवा करनी है, तो निश्चय ही हमारा शेष जीवन भी सुंदर और सार्थक होगा। ये संकल्प केवल मन में न रहें—इन्हें जीवन में उतारने का दृढ़ निश्चय आज ही करें।
लेखक

लेखक नेवर से रिटायर्ड मिशन के प्रणेता है। इस ध्येय के बाबत वो इस वेबसाइट का भी संचालन करते है और उनके फेसबुक ग्रुप नेवर से रिटायर्ड फोरम के आज कई हज़ार सदस्य बन चुके है।




