वरिष्ठ जन परेशानियों से चिंतित कम रहे

वरिष्ठ जन परेशानियों से चिंतित कम रहे

पिछले दिनों वृंदावन में मुझे स्वामी गिरिशानंद जी महाराज द्वारा भागवत कथा को श्रवण करने का सैभाग्य मिला। एक सुबह वह कह रहे थे कि हर किसी की जिंदगी में परेशानियां आती ही है। यहां तक की भगवान श्री कृष्ण के जीवन में भी बहुत परेशानियां रही है और वह अपने कार्यों से उन परेशानियों से बाहर आने के लिए समाधान खोज ही लेते थे।

यही हाल बुजुर्गों का भी है, जब कुछ न कुछ परेशानियां लगी ही रहेगी। एक उम्र आने के बाद ब्लड प्रेशर होना, हार्ट की बीमारी, अर्थराइटिस, डायबिटीज यह सब तो बहुत आम बात हो गई है। बिरले ही ऐसे लोग होंगे जो इन सभी से बचे हो। हां कुछ को एक बीमारी लगती है या कुछ को ज्यादा हो सकती है। वित्तीय आवश्यकताएं पूरी न होने से भी परेशानियां होती ही हैं। हम इनका समाधान कैसे कर सकते है इस पर ध्यान देना होगा। इन परिस्थितियों के रहते हुए हम अपनी जिंदगी कैसे अच्छी रख सकते हैं यह विचारणीय विषय है।

हम अगर अपने स्वास्थ्य की बात करें तो इस उम्र में आकर यह तो विचार न करें कि जवानी के समय जिस तरह से दौड़ लगा सकते थे, सीढ़ियां चढ़ सकते थे या किसी भी तरह का भोजन कर सकते थे, वह आज भी कर सके। अगर भगवान ने हमें एक निश्चित जिंदगी दी है तो उम्र के अनुसार ही हमें अपनी गतिविधियां भी रखनी होगी।

अक्सर देखा गया है कि हमें थोड़ी सी भी परेशानी हुई और हम इतने ज्यादा चिंतित हो जाते हैं कि उससे और परेशानियां बढ़ जाती है। कितनी ही बार हमारे सामने कोई परिचित आ जाते हैं और हम उनके नाम को भूल जाते हैं और हम विचार करने लगते हैं कि हमें तो अब किसी का नाम ही याद नहीं रहता। हमारी याददाश्त कितनी खराब हो गई है। लेकिन कभी आपने यह सोचा है कि भगवान ने हमें बनाया ही ऐसा है कि एक उम्र के बाद हमारी इंद्रियों में सक्रियता कम हो जाती हैं। अपने आप को तो हम किस्मत वाले समझे कि हमें डिमेंशिया या ऐसी कोई विशेष बिमारी नहीं हुइ है। हम नाम भूल जाते हैं लेकिन चेहरा देखकर वह व्यक्ति याद आ जाता है। क्या यह कोई बड़ी बात नहीं है।

इसी तरह जब हमें दांतों की बीमारी होती है तो हम बहुत परेशान हो जाते हैं। माना कि दांतों का इलाज खर्चीला भी है और समय भी बहुत लगता है, पर जीवन के इस मोड़ पर इनका खराब होना तो स्वाभाविक ही है। आप अपने मित्रों में ही अगर देखेंगे तो कई को तो डेंन्चर लग चुके हैं और सभी के दांतों में कुछ ना कुछ परेशानी रहती है। अगर हमने अपने खान-पान में और बताए हुए नियमों का पालन कम उम्र में किया होते तो शायद यह दांतों की बीमारी कम होती। बहुत से ऐसे लोग भी मिल जाएंगे जो हाथ से मंजन भी करते हैं, दत्तून का प्रयोग भी करते हैं और आज अपने दांतों से गन्ना छीलकर खा सकते हैं। दांतों की तकलीफ बहुत आम हैं, चिंतित कम हो, अच्छे डेन्टिस्ट से सही इलाज करवायें।

बहुत से बुजुर्ग अपने झड़ते हुये बालों पर बहुत चिंतित होते हैं। खासकर के पुरुष वर्ग को लगता है कि उनका गंजापन होना शायद सबको नजर आने लगता है कि अब तो वह बूढ़े हो चुके हैं। हम अपने आसपास देखेंगे तो आजकल युवा भी बहुत से ऐसे नजर आ जाएंगे जो की गंजेपन का शिकार हो चुके हैं। महिलाएं अक्सर चर्चा करती है कि उनके बाल बहुत झड़ने लगे हैं। हम यह मानकर चलें कि यह नार्मल है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है बालों का झड़ना तो होता ही है। बहुत सी औषधियां बाजार में बिक रही है, इस समस्या के निवारण के लिए, लेकिन अक्सर तो यही देखा गया है कि उनकी मार्केटिंग पर जोर ज्यादा रहता है और असर कुछ कम ही करता है।

कुछ बिमारियां हैं जो माता-पिता से बच्चों में उनकी आनुवंशिक सामग्री (DNA) के माध्यम से विरासत में मिलती हैं। कुछ है जो हमारे गलत खान-पान से हमें हो जाती है। बढ़ती उम्र में इन सब समस्याओं पर माथा खपाने से कोई लाभ नहीं होगा।

हम बिल्कुल चिंता मुक्त हो जाए यह तो संभव ही नहीं है। लेकिन हां, हमारी परेशानियों को अगर हम किसी ऐसे व्यक्ति से साझा करें जो हमारे दुख दर्द को समझता हो तो हमें कुछ राहत जरूर मिलेगी। दिन भर अपने को किसी न किसी काम में व्यस्त रखना, पैदल घूमना, व्यायाम करना, गपशप करना चाहिए। इससे रात में जब बिस्तर पर सोने जाएंगे तो नींद जल्दी और अच्छी आएगी। यहीं वह समय है जब हम अपनी परेशानियों पर सबसे ज्यादा चिंता करते हैं और नीद नहीं आती हैं। भगवत ध्यान करने से भी अपनी चिंताओ को दूर करने में बहुत सहयोग मिलता हैं।

लेखक

विजय मारू
विजय मारू

लेखक नेवर से रिटायर्ड मिशन के प्रणेता है। इस ध्येय के बाबत वो इस वेबसाइट का भी संचालन करते है और उनके फेसबुक ग्रुप नेवर से रिटायर्ड फोरम के आज कोई सोलह सौ सदस्य बन चुके है।

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