मेरे पिछले लेख, जिसका शीर्षक था हम रिटायर नहीं होंगे, पब्लिश होने के बाद काफी लोगों की प्रतिक्रिया आई और मैं खुद भी लिखा था कि अगले लेख में इसकी चर्चा जरूर करेंगे कि हम वरिष्ठ लोग भी क्या-क्या कार्य कर सकते हैं। और कार्य ऐसा हो जिससे कि हमारा स्वास्थ्य सही रहे, हमारे समय का सदुपयोग हो सके और हम देश सेवा में भी कुछ अपना योगदान दे सकें।
आज के लेख में यही चर्चा करेंगे कि हम रिटायर तो हो गए हैं पर क्या-क्या रास्ते खुले हैं हमारे लिए। हो सकता है सारे कार्य करने के जो सुझाव आए उसे कुछ आर्थिक लाभ तो ना हो लेकिन जरा विचार कीजिए अगर हमारा समय सही निकल जाए या स्वास्थ्य ठीक रहे तो यह क्या आर्थिक लाभ से कम है। हां काम रुचि का जरूर होना चाहिए तभी हम उस कार्य को मन लगाकर कर सकेंगे। कोई जोर जबरदस्ती नहीं होनी चाहिए।
कुछ कार्यों के विषय में यहां चर्चा करते है। ये काल्पनिक नहीं है।
जब हम नेवर से रिटायर्ड मिशन की शुरुआत कर रहे थे, तब एक मित्र ने बहुत ही दिलचस्प किस्सा बताया।
बंगलौर के एक पीएसयू (PSU) से एक उच्च पद पर स्थापित ऑफिसर रिटायर हुए। कुछ दिन तो अपनी नयी परिस्थिति से सामना करने में लगाये। तुरंत बाद में वो ठान लिए कि उन्हें तो सकारात्मक काम में पूरी लगन से लग जाना है।
उन्होंने अपनी सोसाइटी में ही अपने लिए काम ढूंढ लिया। सोसाइटी में काफी फ्लैट थे और हर किसी को बिजली विभाग या जल विभाग या म्यूनिसिपल ऑफिस में कुछ न कुछ काम रहता था। उस समय ऑनलाइन का चलन था नहीं। मासिक बिल के भुगतान के लिए भी व्यक्तिगत जाना पड़ता था। कई के पास तो और कोई साधन न होने के कारण खुद को समय निकालना पड़ता था। ऐसे में खास करके वरिष्ठ लोगों को काफी परेशानी होती थी।
इन महोदय ने तय कर लिया की मैं अपनी सोसाइटी के फ्लैट्स वालों की मदद करूंगा। उन्होंने सभी से बात करके कहा कि अगर आपको कोई भी कार्य बिजली विभाग से है या जल विभाग से है या और कहीं है तो उन्हे बताएं। अगर हो सकेगा तो वो खुद वहां जाकर इसका समाधान करवाएंगे। उनकी व्यस्तता बढती गई और बाद में तो एक समय ऐसा आ गया जब वह अपना एक रूटीन बना लिए। जल विभाग का कोई काम होगा तो वह सोमवार को जाएंगे, बिजली विभाग का होगा तो मंगलवार को जाएंगे, वगैरह। ऐसे ही वह अपना काम बढ़ाते रहे और समिति के लोगों को भरपूर सहयोग होने लगा। वह जिस भी ऑफिस में जाते वहां भी उनकी बहुत इज्जत होती क्योंकि सभी को पता चल गया कि ये सज्जन तो निस्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा में लगे हैं।
एक समाचार रांची स्थित कोल इंडिया की एक ईकाई के रिटायर्ड इंजीनियर्स का अखबार में पढ़ा।
सात रिटायर्ड इंजीनियर्स ने निश्चित किया कि वो समाज के गरीब नौजवान, जिनका मन आगे चल कर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने का हैं, उन्हे वो बिना कोई शुल्क लिए पढ़ाएंगे। और यह टीम पूरे मन से अपने काम में लग गई। बच्चे आने लगे, कोचिंग चलने लगी और इनमे से ज्यादातर ऐंट्रेन्स एक्जाम में सफल भी होने लगे। इससे बड़ी संतुष्टी उन रिटायर्ड इंजीनियर्स को क्या मिल सकती थी।
बहुत से अवकाश प्राप्त प्रोफेशनल्स मेंटरिंग का काम भी करते हैं, खास करके उन संस्थाओं के बच्चों के लिए जहां वह खुद पढ़े थे कभी।
भारत में बहुत सी स्वयं-सेवी संस्थाएं हैं जिसे हम आम भाषा में NGO बोलते हैं। एक दृष्टिकोण यह भी होता है कि ज्यादा कर NGO चलाने वाले अपने स्वार्थ के लिए ही काम करते हैं। पर हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए की बहुत सी अच्छी NGO भी है जो समाज के लिए बहुत ही अच्छा कार्य करती हैं, चाहे वह किसी भी क्षेत्र में हो। अवकाश प्राप्त व्यक्तियों के लिए इन अच्छी संस्थानों में काम करने का अगर मौका मिले तो वह समाज की भरपूर सेवा कर सकते हैं।
आप में से भी कई, किसी ऐसे काम में लगे होंगे जिसकी जानकारी हम साझा कर सकते है। लेख में दर्शाये गए उदाहरण इसीलिए दिए गए है कि शायद कोई इसका उपयोग अपने लिए कर सके। आप अपने सुझाव हमें ईमेल पर भेज सकते है। हमारा ईमेल है [email protected]
हमारे फेसबुक ग्रुप “नेवर से रिटायर्ड फोरम” पर भी आप अपने सुझाव दे सकते है। हमे रिटायर नहीं होना है। जब तक भगवत कृपा रहे अपने आप को व्यस्त रखना है और देश हित में अपना योगदान देते रहना है।
लेखक
लेखक नेवर से रिटायर्ड मिशन के प्रणेता है। इस ध्येय के बाबत वो इस वेबसाइट का भी संचालन करते है और उनके फेसबुक ग्रुप नेवर से रिटायर्ड फोरम के आज कोई सोलह सौ सदस्य बन चुके है।
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Great motivation for all the 60+ young people. Vijay Maroo ji: You are a great inspiration for all the elders in this world. 👍👍👍🙏🙏🙏
I am 82 years and going to my factory. Our workers with us since over 50 years. None of us want to retire. Thanks for your initiative. I enjoyed being in Jaycees and National Trainer. God has blessed us with every thing in life.. .God bless Sinior Citizens.