भारत इस समय एक अनोखे जनसांख्यिकीय मोड़ पर खड़ा है। आज दुनिया हमें सबसे बड़ी युवा आबादी वाले देश के रूप में जानती है, लेकिन इसी बीच एक अधिक आयु वाले भारत की नींव भी तेजी से बन रही है। 9 दिसंबर को लोकसभा में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय ने जानकारी दी कि देश में वरिष्ठ नागरिकों की संख्या अभूतपूर्व गति से बढ़ रही है। वर्ष 2011 में 60 वर्ष से ऊपर की आबादी 10.16 करोड़ थी, जो 2036 तक बढ़कर 22.74 करोड़ हो जाएगी। यानी अगले कुछ वर्षों में हमारी जनसंख्या पिरामिड का स्वरूप बहुत बदल जाएगा।
यह परिवर्तन कई अवसरों और चुनौतियों को साथ लाता है। मंत्री ने बताया कि बढ़ती आयु के साथ स्वास्थ्य सेवाओं, सामाजिक सुरक्षा, आर्थिक निर्भरता, डिजिटल सुविधाओं तक पहुंच और भावनात्मक सहारे जैसी चिंताएं भी तेजी से बढ़ती हैं। सरकार यह भी मानती है कि संयुक्त परिवार की पारंपरिक संरचना और रिश्तों की प्रकृति पहले जैसी नहीं रही। रोजगार की तलाश में दूर शहरों या विदेश जाना, छोटे परिवार, और बदलती जीवनशैली—इन सबने वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाला स्वाभाविक सामाजिक व भावनात्मक सहारा कम कर दिया है।
इन्हीं जरूरतों को देखते हुए सरकार ने 1 अप्रैल 2021 से “अटल वयो अभ्युदय योजना” (AVYAY) लागू की है, जिसके माध्यम से वरिष्ठ नागरिकों को सहायता और सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। साथ ही, “राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक परिषद” का गठन किया गया है, जिसकी अध्यक्षता सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार करते हैं। यह परिषद वरिष्ठ जनों से जुड़े विषयों पर विशेषज्ञ सलाह देती है।
इसके बावजूद एक बड़ी सच्चाई यह है कि भारत भले ही आज युवा दिखता हो, लेकिन यह युवा लाभ हमेशा नहीं रहने वाला। विकसित देशों ने पहले से ही वृद्ध आबादी के दबाव को झेला है, और आने वाले दशकों में भारत भी समान परिस्थितियों का सामना करेगा। 2036 तक करीब 15% भारतीय आबादी वरिष्ठ नागरिक होगी—यानी हर सातवां भारतीय वृद्ध होगा।
इस बदलाव का एक स्पष्ट प्रभाव है—अकेले रहने वाले बुजुर्गों की बढ़ती संख्या। कामकाज के कारण बच्चे बाहर चले जाते हैं, और माता-पिता अपनी जड़ों, अपने पड़ोस, अपनी परिचित जीवनशैली से जुड़े रहना पसंद करते हैं। यह दूरी प्रेम की कमी नहीं, बल्कि परिस्थितियों का परिणाम है। विदेशों में अकेलापन अधिक है—जहाँ सैर पर निकले बुजुर्ग को पड़ोसी और दुकानदार सम्मान से अभिवादन करें, ऐसा भारतीय सौहार्द वहां दुर्लभ है। वहीं बच्चों के लंबे कार्य-घंटों के कारण बुजुर्ग दिन भर अकेले पड़ जाते हैं।
इस परिस्थिति ने वरिष्ठ निवासों और वृद्धाश्रमों की मांग बढ़ाई है। जो बात कभी सामाजिक रूप से स्वीकार्य नहीं मानी जाती थी, आज व्यावहारिक समाधान बन चुकी है। अब हर श्रेणी के वरिष्ठ निवास उपलब्ध हैं—बुनियादी देखभाल से लेकर प्रीमियम असिस्टेड-लिविंग सुविधाएं तक। रियल एस्टेट क्षेत्र भी तेजी से इस दिशा में सक्रिय हुआ है।
एक और बड़ा कारण है—बढ़ती दीर्घायु। बेहतर जीवनशैली और जागरूकता के कारण 80 वर्ष पार करना अब आश्चर्य की बात नहीं। कुछ दशक पहले सत्तर वर्ष की आयु को ही पूर्ण जीवन माना जाता था, जबकि आज अस्सी-पचासी वर्ष के सक्रिय लोग सहज मिल जाते हैं। यह प्रगति का प्रतीक है, लेकिन इसके साथ वित्तीय चुनौतियां भी बढ़ गई हैं।
सेवानिवृत्ति लाभ और पेंशन महंगाई की गति के आगे कमजोर पड़ जाते हैं। स्वास्थ्य व्यय सबसे बड़ी चिंता बन गया है। गंभीर बीमारियों के बिना भी नियमित दवाइयां, दंत चिकित्सा, फिजियोथेरेपी, नेत्र देखभाल और श्रवण यंत्र जैसे खर्च सीमित संसाधनों पर भारी पड़ते हैं। कई वरिष्ठ नागरिक आवश्यकताओं और इच्छाओं के बीच कठिन चुनाव करने को मजबूर होते हैं।
एक कड़वी सच्चाई यह भी है कि जीवन के अंतिम कुछ सप्ताहों में होने वाला चिकित्सा खर्च अक्सर पूरे जीवन में हुए खर्च के बराबर होता है—कई परिवारों के लिए यह भावनात्मक और आर्थिक बोझ बन जाता है।
इन सभी बातों से एक स्पष्ट संदेश मिलता है—भारत को अपने वृद्ध भविष्य के लिए सामाजिक, आर्थिक, भावनात्मक और संरचनात्मक रूप से तैयार होना ही होगा। लेकिन तैयारी का अर्थ भय नहीं, बल्कि सशक्तिकरण है। हमारे वरिष्ठ नागरिक बोझ नहीं—बल्कि अनुभव, संस्कृति और धैर्य के जीवंत स्रोत हैं। यदि परिवार, समाज और सरकार मिलकर संवेदनशील ढंग से काम करें, तो हम बढ़ती उम्र को सम्मान और सक्रियता का अवसर बना सकते हैं।
और यही वह उद्देश्य है जिसके लिए “नेवर से रिटायर्ड” जैसी पहलें काम करती हैं। वरिष्ठ नागरिकों को सक्रिय रहने, सीखते रहने, सामाजिक रूप से जुड़े रहने और गरिमा के साथ जीवन जीने के लिए प्रेरित करना—अब विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता है। “नेवर से रिटायर्ड” का मिशन यही याद दिलाना है कि उम्र अंत नहीं, बल्कि नए उद्देश्य और सार्थक योगदान का एक नया अध्याय है।
लेखक

लेखक नेवर से रिटायर्ड मिशन के प्रणेता है। इस ध्येय के बाबत वो इस वेबसाइट का भी संचालन करते है और उनके फेसबुक ग्रुप नेवर से रिटायर्ड फोरम के आज कई हज़ार सदस्य बन चुके है।




