हमपर भगवान की बहुत कृपा रही हैं कि हम इस उम्र तक पहुंच पाये हैं। अड़चने भी आई होगी इस सफर को यहां तक पार करने में। पर चारो तरफ नजर दौड़ाये तो देखेंगे कि हमारे साथ कितने ही लोग थे जिनके साथ हमने कभी खुशी कभी गम के पलों को बहुत ही आनन्द से व्यतीत किया था, वो अब साथ नहीं हैं। हमें तो अब भगवान से यही प्रार्थना करनी हैं कि जिंदगी जो शेष बची है, उसे विशेष बनाने में हमारे ऊपर अपनी कृपा बनाये रखें। कहने का तात्पर्य यह हैं कि हम अपने जीवन को सार्थक बनाये, खुशियों को बढ़ाये और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के बारे में विचार करें। इसे विशेष बनाने के लिए हमको अपनी जीवनशैली को संतुलित करना होगा, लक्ष्य निर्धारित करना होगा, नए आयाम सीखना और विकसित करना होगा, समाज सेवा में अपने आप को समर्पित करना होगा, प्रकृति के साथ जुड़ना होगा और अपने रिश्तों की गहराई को समझते हुयें इसको महत्व देना होगा। खुश, स्वस्थ और संतुष्ट रहने के लिए हमें सचेत प्रयास करना ही हैं।
रिटायरमेंट जीवन का अंत नहीं है – यह एक सुंदर, खुला राजमार्ग है जिसमें कम ट्रैफ़िक लाइटें और अधिक सुंदर दृश्य हैं। यह हमारे लिए पूरी तरह से जीने, लंबे समय से रखे गए सपनों का पीछा करने और अपने जीवन की यात्रा के पुरस्कारों का आनंद लेने का समय है। विश्वास करे की ईश्वर की दी हुई धरोहर जीवन एक उपहार है, इसका मूल्यांकन करें और इसका अधिकतम लाभ उठाएं। अपना समय जो बचा हुआ है वह बहुत कीमती है, इसका सदुपयोग करें।
कुछ बिन्दुओं पर विषेश ध्यान देना आवश्यक है –
- अपने स्वास्थ्य और कल्याण को प्राथमिकता दें
- नए लक्ष्य निर्धारित करें और आजीवन सीखने को अपनाएं
- अपनी जीवनशैली को संतुलित करें
- सेवा के ज़रिए वापस दें
- प्रकृति से फिर से जुड़ें
- अपने रिश्तों को संजोएं
अपने स्वास्थ्य और कल्याण को प्राथमिकता दें
अच्छा स्वास्थ्य एक पूर्ण जीवन की नींव है। नियमित रूप से चलना, अच्छा खाना, हाइड्रेटेड रहना और अच्छी नींद लेना जैसी सरल आदतें कल्याणकारी जीवन जीने में बहुत सहायक होती हैं। नियमित जांच करे कि आपके आस-पास जो वातावरण बना हुआ है उसमें कहां कुछ ठीक नहीं हैं और उसे सुधारने का भरसक प्रयास करे। डायरी लिखने का भी अभ्यास करना चाहिए, जिसमें आप अपने विचारों, भावनाओं, अनुभवों और प्रतिबिंबो को भावजनित रूप से लिखते है। ऐसा मानना है कि डायरी लिखने से तनाव, चिंता और अवसाद को कम करने में, अपने आप को अधिक जानने में और अपनी प्राथमिकता को समझने में सहायक होती है। इन प्रयासो से मानसिक स्वास्थ्य संबंधी प्रथाएं हमको अधिक ऊर्जावान और भावनात्मक रूप से स्थिर महसूस करने में मदद कर सकती हैं।
नए लक्ष्य निर्धारित करें और आजीवन सीखने को अपनाएं
कौन कहता है कि लक्ष्य-निर्धारण केवल युवाओं के लिए है? चाहे वह संगीत वाद्ययंत्र बजाना सीखना हो, संस्मरण लिखना हो, बगीचा लगाना हो या फिर नई जगहों की यात्रा करना हो – आपके लक्ष्य बड़े या छोटे हो सकते हैं। कुछ नया सीखने से आपका दिमाग तेज रहता है और आपकी आत्मा युवा रहती है।
अपनी जीवनशैली को संतुलित करें
सेवानिवृत्ति आपको अपनी पसंद की जीवनशैली बनाने की आज़ादी देती है। आराम को गतिविधि के साथ मिलाएं। ऐसी दिनचर्या बनाएं जो आराम दे, लेकिन सहजता के लिए जगह छोड़ें। अकेले समय को सामाजिक पलों के साथ संतुलित करें। अपने शरीर और दिल की सुनें – वे आपको बताएंगे कि आपको क्या चाहिए।
सेवा के ज़रिए वापस दें
उद्देश्य खोजने के सबसे संतोषजनक तरीकों में से एक दूसरों की मदद करना है। चाहे वह स्थानीय आश्रय में स्वयंसेवा करना हो, युवाओं को सलाह देना हो, या बस ज़रूरतमंद पड़ोसी की मदद करना हो, आपकी बुद्धि और समय मूल्यवान उपहार हैं। दूसरों की मदद करना आपके उद्देश्य और अपनेपन की भावना को बढ़ाता है।
प्रकृति से फिर से जुड़ें
प्रकृति में शांत करने वाला, उपचारात्मक प्रभाव होता है। बाहर समय बिताएं—पार्क में टहलने जाएं, अपने बगीचे की देखभाल करें, या अपने बरामदे पर एक कप चाय के साथ बैठें। प्रकृति से जुड़ने से आपकी ऊर्जा का नवीनीकरण होता है और आपको अपने आस-पास की सुंदरता की याद आती है।
अपने रिश्तों को संजोएं
रिश्ते सार्थक जीवन की धड़कन होते हैं। पुराने दोस्तों से फिर से जुड़ें, नए दोस्त बनाएं और परिवार के साथ बंधन को मज़बूत करें, और उन्हें सम्मान दें। हंसी, यादें और सरल पल साझा करने से अपार खुशी और सुकून मिलता है। ध्यान रहे इस उम्र में आकर बहुत से बचपन के दोस्तों व परिवार वालों को जिन्हें आप खो चुके हैं, उनके परिवार वालों से भी प्यार भरा सम्पर्क बनाये रखना हैं।
सारभूत विचार
जीवन के ये सुनहरे वर्ष सबसे समृद्ध और सबसे सार्थक हो सकते हैं। आनंद चुनें, अपने जुनून का पीछा करें और ऐसा जीवन बनाएं जो दर्शाता हो कि आप वास्तव में कौन हैं। आपका बाकी जीवन केवल लंबे समय तक जीने के विषय में नहीं है – यह बेहतर और स्वास्थ्यवर्धक जीवन जीने के विषय में है।
लेखक

लेखक नेवर से रिटायर्ड मिशन के प्रणेता है। इस ध्येय के बाबत वो इस वेबसाइट का भी संचालन करते है और उनके फेसबुक ग्रुप नेवर से रिटायर्ड फोरम के आज कोई सोलह सौ सदस्य बन चुके है।
एक निवेदन हमउम्र लोगो से जुड़ने का
सभी पाठको से निवेदन है कि आप हमारे फेसबुक ग्रुप "नेवर से रिटायर्ड फोरम" से जुड़े। वहाँ आपको और मित्रो के पोस्ट पढ़ने को मिलेंगे। आप भी अपने विचार सभी से साझा कर सकते है। खास बात यह है कि इस ग्रुप में सभी पोस्ट हमउम्र के लिए विशेष होते है। आप इस लिंक पर क्लिक कर आसानी से जुड़ सकते है, या इस लिंक को (https://www.facebook.com/groups/972813436666682) टाइप करे अपने मोबाइल/ लैपटॉप पर या सीधे फेसबुक पर सर्च करे।