मेरी एक भतीजी अक्सर मुझे सलाह देती है कि अब मुझे गाड़ी नहीं चलानी चाहिए। कहती है, “अब आप 78 साल के हो गए हैं, आपको ड्राइवर रखना चाहिए या Uber से चलना चाहिए।” दूर रहने वाली एक नातिन को जब पता चला कि मैं अब भी गाड़ी खुद चलाता हूं, तो वह हैरान रह गई।
हाल ही में फेसबुक पर एक पोस्ट देखी—92 साल के एक बुज़ुर्ग आत्मविश्वास से बता रहे थे कि वे आज भी गाड़ी चलाते हैं। मुझे खुशी हुई। क्योंकि मैं मानता हूं कि गाड़ी चलाना सिर्फ एक यात्रा का माध्यम नहीं है, बल्कि एक बेहतरीन मानसिक व्यायाम भी है। यह हमें सतर्क रखता है, निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाता है और सबसे बड़ी बात—स्वतंत्रता का अनुभव कराता है।
अक्सर हम देखते हैं कि घर में बच्चों या युवाओं की ओर से बुज़ुर्गों को कुछ न करने की सलाह दी जाती है—“ये मत उठाइए, ज्यादा मत चलिए, थक जाएंगे, गिर जाएंगे।” इरादे नेक होते हैं, पर असर उल्टा हो सकता है। ज़रूरत से ज़्यादा सावधानी बुज़ुर्गों को निर्भर बना देती है।
यदि बुज़ुर्ग कोई काम नहीं करेंगे, तो उनका आत्मविश्वास धीरे-धीरे कम होता जाएगा। शरीर कमज़ोर पड़ने लगेगा, और मन भी सुस्त हो जाएगा। इसलिए ज़रूरी है कि उन्हें रोजमर्रा के कामों में शामिल किया जाए।
हर काम शारीरिक मेहनत वाला नहीं होता। कपड़े तह करना, पौधों को पानी देना, किसी कॉल का जवाब देना, खाना बनाने में मदद करना—ये छोटे-छोटे काम शरीर और मन दोनों को सक्रिय रखते हैं।
मैंने देखा है कि कई माता-पिता अपने पोते-पोतियों को स्कूल बस स्टॉप तक ले जाते हैं, या पार्क में घुमाने जाते हैं। कभी-कभी बाज़ार से कुछ सामान भी ले आते हैं। ये छोटी यात्राएं बहुत मायने रखती हैं—चलने का अभ्यास होता है, लोगों से मिलने का मौका मिलता है, और दुनिया के साथ जुड़ाव बना रहता है।
जब हम किसी रेस्टोरेंट में जाते हैं और हमारे साथ माता-पिता होते हैं, तो ज़्यादातर समय हम उनके लिए ऑर्डर करते हैं। अगर हम उन्हें मेन्यू थमा दें और कहें, “आज आप सबके लिए ऑर्डर कीजिए,” तो उनका चेहरा खिल उठेगा। यह छोटा सा बदलाव उन्हें एक नई ऊर्जा देता है। जब वे सक्रिय और आत्मविश्वासी महसूस करते हैं, तो उनकी प्रशंसा करें और उन्हें और प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित करें।
सक्रिय उम्रदराज़ी (active aging) का मतलब यह नहीं कि बुजुर्ग जवान होने का दिखावा करें। इसका मतलब है कि वो अपनी उम्र को स्वीकार करते हुए भी जीवन के हर पहलू में सक्रिय रहें। उम्र बढ़ने से व्यक्ति रुक नहीं जाते — वो सिर्फ धीमे होते हैं।
बुजुर्ग व्यक्तियों को उनके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को बनाए रखने और समाज में सक्रिय योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्हें नियमित व्यायाम करने, स्वस्थ आहार लेने, सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने, अपना व्यक्तिगत रूप-रंग बनाए रखने और अपनी गरिमा बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करना महत्वपूर्ण है। इसके लिए, एक सहायक और सम्मानजनक वातावरण बनाना ज़रूरी है, जहां उनकी ज़रूरतों को समझा जाए और उन्हें अपनी इच्छा के अनुसार जीवन जीने का अवसर मिले।
तो आइए, हम अपने बुज़ुर्गों को ये याद दिलाना बंद करें कि वे बूढ़े हो गए हैं। इसके बजाय, उन्हें यह एहसास दिलाएं कि वे अब भी महत्वपूर्ण हैं, अब भी सक्षम हैं, और अब भी हमारे जीवन का एक मजबूत स्तंभ हैं।
सफेद बाल है
अनुभव की पहचान,
झुर्रीयों में छिपा है
जीवन का गान,
वरिष्ठ नागरिक
हमारे गौरव और सम्मान।
लेखक

लेखक नेवर से रिटायर्ड मिशन के प्रणेता है। इस ध्येय के बाबत वो इस वेबसाइट का भी संचालन करते है और उनके फेसबुक ग्रुप नेवर से रिटायर्ड फोरम के आज कई हज़ार सदस्य बन चुके है।