आप अपने जॉब से तो रिटायरमेंट ले लेते है एक निश्चित उम्र में, पर जीवन से रिटायरमेंट कब होगा यह तो आप तय नहीं कर सकते। रिटायरमेंट के बाद का जीवन अच्छी तरह निकले यही सही में लक्ष्य होना चाहिए। इस कालखंड में चुनौतियां भी बहुत आती है जिससे सही प्लानिंग और भगवत कृपा से हम सफलतापूर्वक पार पा सकते है।
रिटायरमेंट के पहले वर्ष में तो बहुत सी फॉर्मलिटी पूरी करते करते ही समय निकल जाता है। फिर शुरू होता है इस रिटायरमेंट के जीवन की असली शुरुआत। मन मे अनेक विचार आते रहते है। परिवार और मित्रो से अनगिनत ज्ञान मिलता रहता है। रात सोने समय नींद नहीं आती है।
शुरूआती दिनो में तो बहुत अच्छा लगता है कि अब ऑफिस नहीं जाना होगा, सुबह-सुबह जल्द उठकर तैयार होने का टेंशन नहीं होगा, देर तक बिस्तर पर पड़े रहने का मजा ले सकेंगे। पर यह सब सपना ही रह जाता है।
ऑफिस से तो छुटकारा मिल गया पर अब दिनभर क्या करेंगे और आर्थिक जरूरते क्या पूरी हो सकेगी, हम इसी का चिन्तन करते रहते है। यह स्वाभाविक भी है। कुछ दिनो पहले तक तो एक रूटीन बनी हुई थी दिन भर की और अब जैसे लाइफ में कोई डिसिप्लीन ही नहीं।
इस नई जिन्दगी का एक निश्चित उद्देश्य अगर हम ढूंढ ले तो यह हमारी सबसे बड़ी जीत होगी। चुनौतियां हैं पर समाधान तो हमे ही निकालना होगा। चुनौतियां पारिवारिक हो सकती हैं, सेहत सम्बन्धित हो सकती है, आर्थिक या कोई अन्य भी हो सकती हैं।
पारिवारिक चुनौतियां
पारिवारिक चुनौतियों की बात करे तो सर्वप्रथम तो यहीं देखना होगा कि हमारे साथ इस समय है कौन-कौन। कितने ही रिटायर्ड व्यक्तियों को हम जानते होंगे जिनके बच्चे उनके साथ नहीं रहते। हां, ज्यादातर के बच्चों से उनके रिश्ते अच्छे है, समय-समय पर मिलना भी होता है और आर्थिक सहयोग भी करते है। पर समाज में ऐसे भी कई हैं जिनको यह सौभाग्य नहीं मिला है। ऐसे में चुनौतियां बहुत बढ़ जाती है। सबसे कठिन समय तो तब आता है जब आपका जीवन साथी भी छोड़कर चला जाता है और आपकी उम्र भी अंतिम पड़ाव की ओर अग्रसर रहती है। सीनियर्स को तो यही ख्याल रखना होगा कि उनका सम्बन्ध सभी से मधुर हो।
सेहत सम्बन्धित चुनौतियां
रिटायरमेंट के बाद अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक है। काम करते समय तो बिजी लाइफ रहती थी, छुटपुट तकलीफ भी होती थी तो उस और ध्यान नहीं जाता था। पर अब समय कुछ और है। छोटा मोटा दर्द भी होने लगता है तो उस और ध्यान खिंचा जाता है। डॉक्टर के पास जाना भी एक बहुत बड़ा पहाड़ सा काम लगता है। इसलिए ऐसे में हमें अपने स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखना है, नियमित योग एवं सुबह की सैर करनी है और दवाईयां समय पर लेनी है। साथ साथ अपने जीवन साथी का भी पूरा ख्याल रखना है।
अच्छा स्वास्थ्य केवल शारीरिक ही नही होता। वो तो भगवन ने एक ढांचा बना रखा है। आप अपनी जवानी में शरीर की कितनी देखभाल करते थे, खान-पान में कितने डिसिप्लीन्ड रहते थे वगैरह आज के शारीरिक स्वास्थ्य का कारण हो सकता है, पर इससे ज्यादा जरूरी है मानसिक स्वास्थ्य। इसे स्वस्थ रखना निरंतर आवश्यक है। भूलना, खासकर व्यक्ति के नाम, तो बहुत आम बात है। फिर भी छोटा-मोटा हिसाब करना, दवाई समय पर लेना यह सब तो रोज की जरूरत है। वैसे आजकल आपका स्मार्ट फोन भी इनमे से कई काम कर सकता है। स्मार्ट फोन का भरपूर उपयोग करनेे के लिए आपके बच्चो के बच्चे आप को सही तरीके से सिखा सकते है।
कुछ वरिष्ठ जन आज भी अपनी गाड़ी चलाते है। उनसे मै यही कहूंगा की वो यह कार्य करते रहे। मेरा मानना है कि यह एक बहुत ही बेहतर मानसिक एक्सरसाइज है। हमारी सड़को पर जिस तरह की अनियंत्रित ट्रेफिक रहती है, उन मार्गो पर गाड़ी चलाना कोई खेल नही है, और मानसिक एक्सरसाइज तो अपने आप हो जाती है।
आर्थिक चुनौतियां
आर्थिक चुनौतियों का तो शायद रिटायरमेंट के बाद सभी को सामना करना पड़ता है। बिर्ले ही होंगे जिनको भगवान ने इतना कुछ दिया होगा कि इस काल में उनकी सभी आवश्यकताएं आराम से पूर्ण हो जाए। हमने पूर्व में बचत की जो आदत डाली थी, सही जगह जो इन्वेस्टमेंट किया था, वही सब आज काम आने वाली है। हम अपने उस पूर्व के जीवन में तो नहीं लौट सकते पर आज के युवा को यह जरूर सलाह देना चाहेंगे कि आने वाले जीवन की कल्पना कर बचत, सही इन्वेस्टमेंट, स्वास्थ्य, निजी सम्बन्ध पर अभी से ध्यान दे। समय कितनी जल्द निकला जा रहा है यह पता ही नहीं चलेगा कि आज का युवा कब वरिष्ठ जन की श्रेणी में पहुंच गया।
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